अधूरी रह गई कहानी

ज़िंदगी कभी-कभी हमें ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है, जहाँ न वापस लौटना आसान होता है और न आगे बढ़ना। अरुण और सीमा की कहानी भी ऐसी ही थी—खूबसूरत, सच्ची, मगर फिर भी अधूरी।
शुरुआत — वहीं से जहाँ सपनों की खुशबू उठती है
अरुण शांत स्वभाव का लड़का था। पढ़ाई में अच्छा, पर दिल से थोड़ा डरपोक। अपनी भावनाएँ किसी से आसानी से कह नहीं पाता था। उसे हर छोटी बात में गहरे मतलब ढँकने की आदत थी। वह शहर के एक छोटे कॉलेज में बी.ए. की पढ़ाई कर रहा था।
इसी कॉलेज में पहली बार उसने सीमा को देखा—हल्की सी मुस्कान, आँखों में सादगी, और चलते समय चूघियों की धीमी सी आवाज़। अरुण ने उसी दिन महसूस किया कि उसकी दुनिया बदल रही है।
सीमा पढ़ाई में औसत थी, पर दिल की बेहद साफ़। गहराई से सोचने वाली नहीं, लेकिन हर बात को मुस्कुराकर स्वीकार करने वाली। अरुण को उसकी यही सरलता खींचती थी।
पहली मुलाक़ात — कुछ अनकही बातें
एक दिन लाइब्रेरी में सीमा को एक किताब नहीं मिल रही थी। अरुण ने हिम्मत करके वह किताब उसके लिए ढ दी।
“धन्यवाद,” सीमा ने मुस्कुराते हुए कहा।
अरुण कुछ बोल ही नहीं पाया, बस सिर हिलाकर रह गया।
उसे लगा, शायद यह किसी कहानी की शुरुआत है।
धीरे-धीरे दोनों की मुलाक़ातें बढ़ने लगतीं—कभी कैंटीन में, कभी लाइब्रेरी में, कभी कॉलेज के बाहर नीम के पेड़ के नीचे। वे दोस्त बन गए।
पर अरुण के मन में सिर्फ दोस्ती नहीं थी… उससे ज़्यादा था, बहुत ज़्यादा।
अनकहा प्यार — जो दिल में थमकर रह गया
अरुण हर रोज़ सोचने, “आज कह दना,” मगर हर बार सीमा की हँसी देख कर चुप हो जाता। उसे डर था कि कहीं अपनी बात कहकर वह उसे खो न दे।
सीमा दुनिया से बेखबर, अरुण को सिर्फ एक अच्छे दोस्त की तरह ही देखती रही।
कई बार अरुण को लगा कि सीमा भी उसे थोड़ा अलग नज़र से देखती है, लेकिन उसने कभी हिम्मत नहीं जगाई।
दोनों की दोस्ती गहरी हो गई—सीमा अपनी छोटी-बड़ी बातें अरुण से साझा करती, अरुण सुनता रहता।
पर जो बात उसे सबसे ज़्यादा कहनी चाहिए थी, वही नहीं कह पाया।
वो दिन जिसने सब बदल दिया
कॉलेज का अंतिम साल था। एक दिन सीमा ने अरुण से कहा,
“अगले महीने मेरी शादी तय हो गई है।”
यह सुनकर अरुण का दिल जैसे रुक गया। वह मुस्कुराने की कोशिश करता रहा, पर चेहरे पर उतरती उदासी छिप ना ।
सीमा ने उसकी आँखों में कुछ खोजने की कोशिश की, पर वह कुछ न समझ पाई।
उसने कहा, “तुम आओगे न मेरी शादी में?”
अरुण ने देर रात आवाज़ में जवाब दिया, “जरूर… क्यों नहीं।”
वहाँ मुस्कान अरुण सोच रहा था—
“काश… मैंने उसे बता दिया होता।”
पर अब सब हाथ से निकल चुका था।
शादी का दिन — मुस्कुराहटों के बीच टूटता दिल
सीमा दुल्हन बनी बेहद खूबसूरत लग रही थी। देर रात घबराहट, काजल से सजी सिकुड़, और चेहरे पर मजबूर मुस्कान।
अरुण दूर खड़ा बस उसे देख रहा था।
जब सीमा ने उसकी तरफ देखा तो एक पल को उसके चेहरे पर अजीब सी उदासी तैर गई।
जैसे वह भी कुछ कहना चाहती हो, कुछ पूछना चाहती हो… पर दोनों के बीच सिर्फ ख़ामोशी थी।
जब विदाई का समय आया, सीमा रो रही थी। अचानक उसने अरुण का हाथ थमकर कहा—
“तुम अच्छे दोस्त बनकर मेरे साथ रहे… शुक्रिया। तुम हमेशा खुश रहना।”
अरुण बस इतना ही कह पाया,
“तुम भी… बहुत खुश रहना।”
उसका गला भर आया। वह वहाँ और देर से खड़ा नहीं रह पाया।
उस रात अरुण बहुत रोया।
कई सपने, कई उम्मीदें, सब टूटते रहे।
समय बीतता गया — लेकिन कुछ घाव पुराने नहीं होते
सीमा अपनी नई ज़िंदगी में चली गई। उसने कभी अरुण से संपर्क नहीं किया।
अरुण ने भी कभी उसे परेशान नहीं किया।
वह सिर्फ यही चाहता था कि सीमा खुश रहे।
पर हर रात वह —
“क्या उसकी आँखों में भी कुछ ऐसा था जो मैं समझ नहीं पाया?” “क्या उसे भी कभी लगा कि हम साथ…?”
पता नहीं।
कुछ सवालों का जवाब समय भी नहीं दे पाता।
अरुण ने पढ़ाई पूरी करके नौकरी शुरू कर दी। ज़िंदगी पटरी पर आने लगी, पर दिल कहीं पीछे छूट गया था।
सीमा की यादें कम नहीं थीं, बस गहरी हो गई थीं।
आखिरी मुलाक़ात — सालों बाद
लगभग पाँच साल बाद, अरुण एक अस्पताल में था। उसके एक धमनी का एक्सीडेंट हुआ था।
वहीं उसे सीमा मिली—नर्सिंग ड्रेस में।
सीमा ने अरुण को देखा, तो उसकी चौड़ाई भर आईं।
“तुम यहाँ?” उसने जोश में पूछा।
दोनों अस्पताल के बाहर बैठ गए।
तमाम बातें हुईं—शादी, जीवन, संघर्ष।
सीमा ने बताया कि उसका पति बाहर नौकरी करता है, और वह बहुत अकेला रहता है।
उसने धीमी आवाज़ में कहा,
“कभी-कभी लगता है, कुछ बातें रह जाती हैं… जिन्हें कह देना चाहिए था।”
अरुण ने उसकी आँखों में देखा।
उसे लगा, सीमा सब समझ चुकी है।
वह बस मुस्कुराया और बोला,
“कुछ कहानियाँ… पूरी नहीं होतीं। शायद वही उनकी खूबसूरती भी है।”
सीमा ने कहा,
“हाँ… शायद।”
उनकी यह मुलाक़ात आखिरी थी।
दोनों अपनी-अपनी ज़िंदगी में लौट गए,
और उनकी कहानी…
वहीं अधूरी रह गई।
अधूरी कहानी का सब
अरुण और सीमा की कहानी हमें सिखाती है कि
कभी-कभी चुप रह जाना सबसे बड़ा पछतावा बन जाता है।
अगर आप किसी को दिल से चाहते हैं,
तो उसे बता दीजिए,
क्योंकि समय लौटकर नहीं आता।
कहानी के पात्रों की तालिका
| पात्र का नाम | भूमिका स्वभाव / वर्णन | कहानी में योगदान |
|---|---|---|
| अरुण | मुख्य पात्र शांत, सचेत, | भावुक, डरपोक सीमा से प्रेम करता है पर कह नहीं पाता; उसकी चुप्पी ही कहानी को अधूरा बनाती है। |
| सीमा | मुख्य महिला पात्र सरल, | सच्ची, मासूम, भावुक अरुण की दोस्त; उसकी शादी होने पर कहानी मोड़ लेती है; आखिरी में अधूरी भावनाएँ स्वीकारती है। |
| अरुण का पासपोर्ट | सहायक पात्र सामान्य | एक्सीडेंट के कारण अरुण का अस्पताल जाना तय होता है, जिससे सीमा से उसकी आखिरी मुलाक़ात होती है। |
| सीमा का पति | अप्रत्यक्ष पात्र व्यस्त, | हमेशा बाहर उसकी अनुपस्थिति सीमा की अकेलेपन को पाना है, जिससे कहानी की भावनाएँ गहरी होती हैं। |