आईना जो सच नहीं दिखाता – एक डरावनी कहानी

रात का समय था। हवाएँ तेज़ थीं और आसमान बादलों से घिरा हुआ था। पहाड़ों के बीच बसे पुराने झरनों में लोग आम दिनों की तरह जल्दी अपने-अपने घरों में बंद हो गए थे। लेकिन कृति नाम की एक लड़की आज घर लौटने में देर कर चुकी थी। वह शहर से पढ़ाई करके अपने गाँव आई थी और रास्ते में उसके हाथ एक पुराना, काला, धूल से भरा आईना लग गया था। एक प्राचीन दुकान के बाहर पड़े कबाड़ में उसे यह आईना मिला था। देखने में यह साधारण लगता था, लेकिन उसमें एक अजीब-सी चमक थी—जैसे वह उसे अपनी ओर खींच रहा हो।
कृति ने सोचा, “कमरे की सजावट के लिए यह आईना बढ़िया रहेगा।”
वह आईना बढ़ने घर ले आई। उसे क्या पता था कि यह आईना कई सालों से लोगों की ज़िंदगी बदल चुका था—या कहें, बर्बाद कर चुका था।
आईने का पहला संकेत
उस रात जब कृति ने आईना साफ किया, तो उसने पाया कि उसमें उसकी परछाईं कुछ अलग दिख रही थी। चेहरा वही था, लेकिन चेहरा… उनमें एक अजीब-सी चमक और गहराई थी। जैसे कोई दूसरी दुनिया की नज़रें उसे घूर रही हों।
कृति ने समझा कि शायद वह थकी हुई है। उसने आईने को खिड़की के पास टांग दिया और सोना चली गई।
लेकिन रात के लगभग तीन बजे कमरे में सुबह-सी खटाखट हुई।
कृति की आँख खुली।
आईने से सुबह-सी आवाज़ आ रही थी… जैसे कोई उंगलियों से शीशे पर पढ़ा रहा हो।
“कौन है?”—कृति ने घबराकर पूछा।
लेकिन आवाज़ तुरंत बंद हो गई।
वह डर गई, पर खुद को समझा कि शायद यह हवा की आवाज़ होगी।
आईना जो सच नहीं दिखाता
अगली सुबह कृति तैयार हो रही थी। उसने आईने में देखा कि उसके चेहरे पर एक सुबह-सी चोट का निशान नज़र आ रहा है।
उसने हाथ डालकर महसूस किया—लेकिन उसके असली चेहरे पर ऐसा कोई निशान नहीं था।
वह चौंक गई।
कुछ देर बाद आईने में दिखा निशान धीरे-धीरे फैलता लगा—जैसे किसी ने उसके चेहरे को नोंच दिया हो।
कृति पीछे हट गई।
लेकिन जैसे ही उसने दोबारा देखा, उसका चेहरा फिर सामान्य दिख रहा था।
अब उसके मन में एक ही सवाल था—
“यह आईना सच क्यों नहीं दिखा रहा?”
आईने का दूसरा चेहरा
कृति की दादी, सुधा देवी, जो गांव में सब कुछ जानने वाली समझी जाती थीं, वे कृति के कमरे में आईना देखकर तुरंत चिंता में आ गईं।
उन्होंने कहा,
“बेटा, यह आईना बहुत पुराना लगता है। कुछ धुलाई सजावट नहीं, मुसीबत लेकर आती हैं।”
कृति ने दादी की बात को हल्के में लिया।
लेकिन उसी रात आईने में एक और घटना घट गई।
करीब बारह बजे, जब कृति पानी पीने, तो उसने देखा कि आईने में कोई परछाईं खड़ी है।
वह कृति नहीं थी।
एक लड़की, झुर्रियों वाली बालों वाली, काले कपड़ों में, बिल्कुल शांत खड़ी थी।
उसकी उल्टी लाल थीं… और वह सीधी कृति को देख रही थी।
कृति चीखने वाली थी कि तभी वह परछाईं गायब हो गई—पर कृति डालती थी कि वह सपना नहीं था।
दूसरी दुनिया का रास्ता
अगले दिन कृति ने थाना लिया कि वह इस आईने के पीछे की सच्चाई खोजेगी।
उसने दादी से पूछा,
“दादी, क्या कभी गांव में किसी अजीब आईने की कहानी सुनी है?”
दादी ने गहरी सांस ली और बोलीं,
“हां। सालों पहले एक लड़की, रेवा, अचानक गायब हो गई थी। उसके कमरे में सिर्फ एक काला आईना मिला था। कहते हैं वह आईना इंसान का सच नहीं, उसकी किस्मत दिखाती थी—लेकिन कभी-कभी वह किस्मत को बदल भी देता था… और अक्सर बुरी तरफ।”
यह सुनकर कृति के रौंगटे खड़े हो गए।
उसे समझ आया कि जो परछाईं उसने देखी थी, वह शायद रेवा की ही थी।
आईने का डरावना खेल
रात होते-ही-होते आईना और खतरनाक होने लगा।
अब आईना कृति की हर हरकत को दिखाता था—जैसे वह कृति को भविष्य के डरावने दृश्य दिखाना चाहता हो।
एक बार उसने देखा कि आईने में उसकी दादी जमीन पर गिरी हुई हैं।
कृति भागकर दादी के कमरे में गई—दादी बिल्कुल ठीक थीं।
लेकिन अगले ही दिन दादी प्रेरित पर फिसलकर गिर पड़ीं।
कृति को समझ आ गया—आईना झूठ नहीं, “एक दूसरा सच” दिखाता है… जो बाद में हक़ीक़त बन जाता है।
अंधेरा जिसे आईना छुपा रहा था
आईने के पास जाते ही कृति को रेवा की आवाज़ सुनाई देने लगी।
धीरे-धीरे…
कभी रोते हुए…
कभी फुसफुसाते हुए…
“मुझे बाहर निकालो…”
“मैं यहाँ फँसी हूँ…”
कृति का दिमाग सुन्न हो गया।
यह सिर्फ आईना नहीं था—यह एक काला दरवाज़ा था, जो किसी दूसरी दुनिया से जुड़ा था।
अंतिम रात
उस रात कृति ने निश्चित कर लिया कि वह आईने को नष्ट कर देगा।
वह हिम्मत बढ़ाकर कमरे में गई।
आईने के ठीक सामने खड़ी होकर बोली—
“तुम जो भी हो, तुम्हारा खेल आज खत्म।”
लेकिन जैसे ही उसने हथौड़ा उठाया, आईना चमका और कृति को अपनी ओर खींच लगा।
कृति ने पूरी ताकत से खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन उसकी परछाईं अलग होकर आईने में समा गई।
आईने में अब कृति नहीं, बल्कि वही लाल आंखों वाली लड़की खड़ी थी— लेकिन इस बार उसका चेहरा कृति का था।
कृति डर के मारे पीछे हट गई।
आईना दरारों से भर गया।
और अचानक—
एक जोरदार बम के साथ फट गया।
कमरा शांत हो गया।
कृति बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ी।
क्या सब खत्म हो गया?
चरित्र तालिका
| पात्र का नाम | कहानी में भूमिका | विवरण |
|---|---|---|
| कृति | मुख्य पात्र शहर से लौटी | लड़की, जिसे रहस्यमयी आईना मिलता है और जिसकी ज़िंदगी बदलती लगती है। |
| सुधा देवी (दादी) | सहायक पात्र | कृति की दादी, गांव की पुरानी कहानियाँ डालती हैं और कृति को आईने के खतरे के बारे में चेतावनी देती हैं। |
| रेवा | रहस्यमय आत्मा | वह लड़की जो सालों पहले गायब हो गई थी। माना जाता है कि उसकी आत्मा आईने में फँसी है। |
| आईना | मुख्य प्रतिपक्ष | एक शापित, पुराना आईना जो सच नहीं दिखाता, बल्कि आने वाली जलन प्रसारण दिखाता है और लोगों को अपनी दुनिया में खींच लेता है। |