इश्क़ की उन अनकही राहों पर

इश्क़ की उन अनकही राहों पर

कभी-कभी ज़िंदगी हमें ऐसी राहों पर ले जाती है, जहाँ कदम तो हमारे होते हैं, पर दिशा किसी और की होती है। कुछ ऐसा ही हुआ आरव और सिया के साथ—दो अलग दुनिया के लोग, पर दिल एक-दूसरे की धड़कनों से जैसे पहले ही परिचित।

पहली मुलाकात – अनकही शुरुआत

दिल्ली की तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में आरव एक शांत और गंभीर लड़का था। वह एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता था और ज़्यादातर अपने काम में ही खोया रहता था। दूसरी तरफ सिया थी—जिंदादिल, वेबिनार और सपनों से भरी हुई। वह एक कैफे में पार्ट-टाइम काम करती थी और फोटोग्राफी सीख रही थी।

एक बारिश वाली शाम, जब शहर की सड़कों पर धुंध और भीगते बर्फबारी का खूबसूरत नज़ारा छाया हुआ था, आरव पास के कैफे में आकर बैठ गया। उस दिन उसकी ज़िंदगी थोड़ी उलली हुई थी। काम का तनाव, अकेलापन और बारिश की उदासी—सब उसकी आँखों में साफ़ दिख रहा था।

सिया ने जब उसकी टेबल पर कॉफी रखी, तो उसने उसकी आँखों में वही बेचैनी महसूस की, जो कभी-कभी वह खुद भी महसूस करती थी। उसने आस-पास से पूछा—

“सब ठीक है न?”

आरव ने सुबह सी मुस्कान दी—“हाँ, बस कुछ ख्याल भारी हो गए हैं।”

उस पल उनके बीच एक ऐसी गतिविधि की डोर बंध गई जो दोनों को महसूस तो हुई, पर किसी ने कुछ कहा नहीं।

दोस्ती की राह – खामोश मुस्कानें

आने वाले दिनों में आरव रोज़ उसी कैफे में आने लगा। सिया कभी उसके लिए बिना कहे उसकी पसंद की कॉफी ले आती, कभी उसकी टेबल के पास झांकती किसी फिल्म, गानों या फोटोग्राफी की बातें करने लगती। आरव उसकी बातों में खो जाता—उसे लगता था मानो सिया सिर्फ कॉफी नहीं, बल्कि उसके दिनों में थोड़ी रोशनी भी घुल रही हो।

धीरे-धीरे उनके बीच एक खूबसूरत दोस्ती पैंप गई। दोनों एक साथ पास के पार्क में झांकती घंटों बातें करते। सिया प्रकृति और फोटोग्राफी में खो जाती, जबकि आरव उसे कोडिंग और टेक्नोलॉजी की मज़ेदार बातें समझाता। उनकी दुनिया अलग थी, पर मन एक जैसे।

उनकी मुलाकातों में कोई वादा नहीं था, पर हर दिन एक उम्मीद थी।

प्यार की दस्तक – पर अनकही

एक शाम जब सूरज ढल रहा था और आसमान संतरे रंग में सराबोर था, सिया ने अचानक कहा—

“आरव, कभी-कभी लगता है कि कुछ बातें दिल में ही रह जाती हैं, बोलने की हिम्मत नहीं होती।”

आरव ने उसकी ओर देखा—“अगर तुम बोलोगी तो मैं सुनने से भागूंगा नहीं।”

सिया ने मुस्कुराकर नजरें चुरा लीं। वह कुछ कहना चाहती थी, पर डर शायद उससे बड़ा था। वह जानी थी कि आरव रेलमार्ग में उलझा हुआ है, और वह खुद अपने सपनों की तलाश में। कहीं उनकी राहें साथ चलने के लिए बनी हैं या नहीं—इसका जवाब किसी के पास नहीं था।

आरव भी कुछ ऐसा ही महसूस करता था, पर उसने कभी अपने एहसासों को शब्द नहीं दिए। उसे डर था कि कहीं वह उनकी दोस्ती को तोड़ न दे।

उनके बीच प्यार की दस्तक थी, पर किसी ने दरवाज़ा नहीं खोला।

दूरियों का मौसम

कुछ महीनों बाद सिया को मुंबई के एक फोटो स्टूडियो में असिस्टेंट के रूप में नौकरी मिल गई। यह उसके सपनों का पहला कदम था। खुशी थी, पर साथ ही एक सुबह सी कसक भी।

जब उसने यह बात आरव को बताई, उसके चेहरे पर मुस्कान तो थी, पर आँखों में उदासी साफ झलक रही थी।

“ये मौका तुम्हें ज़रूर लेना चाहिए,” आरव ने कहा।

“पर दिल्ली…” सिया एशिया से बोली।

“दिल्ली तो रहेगी… लेकिन तुम्हारे सपने इंतजार नहीं करेंगे,” वह मुस्कुराया, पर आवाज़ कांप रही थी।

सिया समझ गई कि दोनों कुछ छुपा रहे हैं— शायद वही शब्द जो अब तक बोले नहीं गए थे।

जाने से पहले आखिरी बार दोनों उसी पार्क में बैठे। हवा धीमी थी, और आसमान में गहरा नीला रंग फैल रहा था।

“आरव, अगर कभी लगे कि हम फिर मिलेंगे, तो शायद… मैं कुछ कह पाऊं,” सिया ने धीरे से कहा।

आरव ने उसकी हथेली पकड़ते हुए बोला—“कुछ बातें अधूरी ही खूबसूरत लगती हैं।”

और सिया चली गई—अपने सपनों की तरफ, और आरव की ज़िंदगी में एक खालीपन छोड़कर।

समय की धूप–छांव

समय बीतता गया। सिया ने मुंबई में अपनी पहचान बनाना शुरू कर दिया। बड़े-बड़े फोटोशूट, नए लोग, नई जगहें—सब कुछ अच्छा था, पर दिल में कहीं न कहीं दिल्ली की बारिश, वह कैफे, और आरव की मुस्कान अभी भी ज़िंदा थी।

उधर आरव ने खुद को पूरी तरह काम में झोंक दिया। वह जानता था कि वह सिया को याद करता है, पर उससे संपर्क करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। उसे लगता था कि कहीं वह सिया की राहों में बाधा न बन जाए।

किस्मत की मुलाक़ात – अनकही बातें पूरी

एक साल बाद, एक फोटोग्राफी प्रदर्शनी दिल्ली में रखी गई, जिसमें सिया का भी काम था। वह कुछ दिनों के लिए शहर आई थी। उसने आरव को मैसेज भेजने की बहुत कोशिश की, पर हर बार यौगिकों की-पैड पर रुक जातीं। डर था, घबराहट थी, उम्मीद भी थी।

उधर उसी प्रदर्शनी की खबर आरव को उसकी कंपनी के एक इवेंट से मिली। वह वहां गया, बिना यह जाने कि सिया भी होगी।

जब वह हॉल में पहुंचा, तो एक तस्वीर पर उसकी नजर अटक गई—वह तस्वीर बारिश वाली शामों में से किसी की थी। नीचे छोटा-सा कैप्शन लिखा था—

“कुछ लोग ज़िंदगी में चुपके से आते हैं… और दिल में हमेशा के लिए बस जाते हैं।”

आचरण की तालिका

पात्र का नामभूमिकाकहानी में महत्व
आरवसॉफ्टवेयर इंजीनियर, शांत स्वभावकहानी का मुख्य पुरुष पात्र; सिया के साथ अनकहा प्यार, भावनात्मक संघर्ष, और अंत में स्वीकारोक्ति
सियाफोटोग्राफर बनने की इच्छा रखने वाली, खुशमिजाजमुख्य महिला पात्र; सपनों का पीछा करते हुए आरव से क्रिया, दूरियां, और अंत में सच्चे प्यार का एहसास
कैफे (स्थान)उनकी पहली मुलाकात का स्थानकहानी की शुरुआत और भावनात्मक क्रिया का प्रतीक
पार्क (स्थान)बातचीत और करीबियां बढ़ने की जगहउनके रिश्तों की गहराई और अधूरी बातों का गवाह

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