काले दरवाज़े के पीछे — एक रहस्य कथा

पहाड़ों से नवाज़ छोटे से घुमाव धूपगढ़ में एक पुराना, निराश्रय सा बंगला था—मेहता विला। इसके चारों ओर ऊँची झाड़ियाँ थीं, और दीवारों पर काई जम चुकी थी। लेकिन इस बंगले की सबसे खास और डरावनी बात थी—सबसे पीछे लगा हुआ एक काला दरवाज़ा, जिस पर कोई संभाल नहीं था।
लोग कहते थे कि ये दरवाज़ा सालों से कभी नहीं खुला, और इसकी तरफ़ जाने से भी अजीब सा सन्नाटा घेर लेता था।
घुमाव के लोग उस दरवाज़े का नाम तक लेने से कतराते थे। बुज़ुर्ग कहा करते—
“उस काले दरवाज़े के पीछे कुछ ऐसा है जिसे छेड़ना नहीं चाहिए।”
पर सच क्या था? कोई नहीं जानता था।
इसी घुमाव में रहने वाली 22 साल की लड़की अनाया को बचपन से ही रहस्य पसंद थे। वह कहानियाँ पढ़ती, पुराने नक्शे ढ़़हती और हर अनसुलझी चीज़ को समझने की कोशिश करती। उसे मेहता विला की कहानियाँ खूब रोमांचित करती थीं।
एक दिन उसने तय कर लिया कि वह इस काले दरवाज़े का रहस्य ज़रूर पता लगाएगी।
पहला संकेत
सितंबर की एक ठंडी शाम, जब आसमान बादलों से भरा था, अनया अपने दोस्त रोहित के साथ बंगले की ओर निकल पड़ी। रोहित थोड़ा डरपोक था, लेकिन अनया के साथ जाने से मना नहीं कर पा रहा था।
बंगले तक पहुँचते-पहुंचते हवा ठंडी होने लगी।
चारों ओर ऐसा लग रहा था जैसे हवा में कोई दबा-दबा सा शब्द घूम रहा हो।
बंगले के गेट पर खड़े होकर रोहित बोला,
“अनाया, मुझे ये जगह ठीक नहीं लगती। चलो वापस चलते हैं।”
अनया मुस्कुराई, “सच का पता लगाए बिना मैं वापस नहीं जाऊँगी।”
वे दोनों अंदर गए। लकड़ी की सीढ़ियाँ चरमराने पहुँचती। अंदर जाले थे और धूल की मोटी परत।
लेकिन अचानक अनया को दीवार पर कुछ अजीब सा दिखा—
एक पुराना, आधा फटा हुआ नक्शा।
नक्शा पर बंगले की बनावट बनी थी और उसके पीछे एक हिस्से को लाल रंग से घेरा गया था।
लिखा था—
“सिर्फ़ वही खोलेगा जो सच को स्वीकार करने का साहस रखता हो।”
अनया ने रोहित की तरफ देखा।
“ये काले दरवाज़े का नक्शा है! देखो, पीछे वाला हिस्सा खास तौर पर पर चिन्हित है।”
रोहित ने घबराकर कहा, “अनाया, हमें ये सब नहीं करना चाहिए।”
पर अनया अब उम्मीदवारों वाली नहीं थी।
काले दरवाज़े तक का रास्ता
नक्शे के सहारे दोनों बंगले के पीछे पहुँचे।
काले दरवाज़े के आसपास हवा असामान्य रूप से स्थिर थी।
ज़मीन पर पुराने पंजों के निशान थे, मानो कोई भारी चीज़ घसीटी गई हो।
रोहित ने फुसफुसाते हुए कहा,
“ये दरवाज़ा… बिल्कुल अलग लगता है। जैसे किसी दूसरी दुनिया का रास्ता हो।”
दरवाज़े पर संभाल नहीं था।
अनया ने नक्शे को ध्यान से देखा।
उस पर एक छोटी सी आकृति बनी थी—एक वृत्त, और उसके भीतर तीन रेखाएँ।
“शायद ये किसी तरह का ताला है,” अनया बोली।
अचानक अनया को दीवार पर वही निशान बेहद हल्की रोशनी में चमकता दिखाई दिया।
उसने हाथ बढ़ाकर निशान को छुड़ाया।
दरवाज़ा पूर्वोत्तर-धीमे गूँजता हुआ हिलने लगा।
एक तेज़ ठंडी हवा बहने लगी और दरवाज़ा स्वतः खुल गया।
रोहित चिल्लाया, “अनया, मत जाओ!”
लेकिन अनया अंदर झाँकने लगी।
काले दरवाज़े के पीछे क्या था?
दरवाज़े के पीछे कोई कमरा नहीं था।
बल्कि एक लंबा, अँधेरा गलियारा था।
मद्धम नीली रोशनी दीवारों के आखिरी सिरे पर जल रही थी।
दोनों नुकीले-डरते आगे बढ़ते।
दीवार पर पुराने चित्र लगे थे—लेकिन उनमें चेहरा धुंधलाले थे, मनो मिटा दिए गए हो।
दीवारों के अंत में एक बड़ा कमरा था, जिसमें एक लकड़ी की मेज़ और उस पर एक पुरानी लाल डायरी रखी थी।
अनया ने डायरी उठाई और पढ़ना शुरू किया।
यह डायरी इस बंगले की मालिक शालिनी मेहता की थी। डायरी में लिखा था कि उनके परिवार में आमदनी से एक श्राप चला आ रहा है—
एक ऐसा रहस्य जिसे दुनिया से छुपाने के लिए उन्होंने यह काला दरवाज़ा बनवाया था।
डायरी में लिखा था:
“जिस दिन यह दरवाज़ा खोला जाएगा, उसी दिन सच सामने आएगा।
हमारे परिवार की गलती एक बार फिर ज़िंदा हो जाएगी।”
अनाया आकृतियों सन्न रह गई।
तभी कमरे के पीछे से किसी के चलने की आवाज़ आई।
रहस्य की असलियत
एक धुंधली आकृति धीरे-धीरे सामने आई।
वह एक युवक जैसा लग रहा था—लेकिन उसका चेहरा पूरी तरह रोशनी, चेहरा गहरा और बिना पलक झपकाए।
वह धीमी आवाज़ में बोला,
“तुमने दरवाज़ा क्यों खोला? यह दरवाज़ा सिर्फ़ बंद रहने के लिए था।”
अनाया एक कदम पीछे हटी, “तुम… कौन हो?”
आकृति बोली,
“मैं आरव मेहता हूँ… इस घर का आखिरी वारिस।
मेरे गंतव्य ने एक निर्दोष व्यक्ति पर झूठा आरोप लगाया था, और उसकी मौत के बाद उसका श्राप हमारे परिवार पर लगा।
मैं भी इस श्राप का हिस्सा बन गया, और इस दरवाज़े के पीछे फँस गया।”
रोहित कांपते हुए बोला,
“अब तुम क्या चाहते हो?”
आरव ने अनया की ओर देखा,
“मेरी आत्मा तब मुक्त हो सकती है जब कोई सच जानकर भी मुझे दोषी न माने, बल्कि मुझे माफ कर दे।
तुमने साहस दिखाया है… क्या तुम मेरी गलती को समझकर मुझे मुक्त कर पाओगी?”
अनया ने गहरी साँस ली।
उसने डायरी के पन्ने दोबारा पढ़े—स्पष्ट था कि गलती आरव की नहीं थी, बल्कि उसके गंतव्य की थी।
अनया ने शांत स्वर में कहा,
“आरव… मैं तुम्हें माफ करती हूँ।
किसी की गलती का बोझ उसकी आने वाली देनदारी को नहीं उठाना चाहिए।”
यह सुनते ही कमरे में रोशनी फैली लगी।
आरव की आकृति धीरे-धीरे धुंध में प्रकटीकरण गायब होने लगी।
उसने अंतिम बार कहा,
“धन्यवाद… तुमने मुझे आज़ाद कर दिया।”
और फिर कमरा बिल्कुल शांत हो गया।
चरित्र तालिका
| चरित्र | भूमिका | कहानी में महत्व |
|---|---|---|
| अनाया | मुख्य पात्र | रहस्य खोलने वाली साहसी लड़की, जिसने काला दरवाज़ा खोला और सच का सामना किया। |
| रोहित | अनया का दोस्त | डरपोक लेकिन वफ़ादार, अनया के साथ हर कदम पर रहा और घटना का साक्षी बना। |
| आरव मेहता | मेहता परिवार का आखिरी वारिस / आत्मा | श्राप के कारण काले दरवाज़े के पीछे फँसा था, अनया ने उसे मुक्त किया। |
| शालिनी मेहता | बंगले की पूर्व मालिक | उसकी डायरी ने श्राप की सच्चाई उजागर की, कहानी में सूत्र देने वाली। |