खोई हुई चीख़ — एक थ्रिलर कहानी

रात का वक्त था। पहाड़ों के बीच बसा शांत-सा कस्बा भीमगाँव मनो सो चुका था। लेकिन उस रात की खामोशी में एक बात अजीब थी—एक ऐसा सन्नाटा, जिसमें कुछ दबा हुआ-सा लगता था। मनो हवा खुद किसी चीख़ को छिपाने की कोशिश कर रही हो।
इसी झरना में रहती थी आर्या, एक 24 साल की लाइब्रेरी असिस्टेंट। शांत स्वभाव, किताबों से प्यार, और हर बात को ध्यान से देखने की आदत—ये उसकी पहचान थी। लेकिन पिछले कुछ हफ़्तों से उसे महसूस हो रहा था कि उसके आस-पास कुछ बदल रहा है। रात को खिड़की के बाहर से अजीब-सी सरसराहट सुनाई देती है, जैसे कोई उसे देख रहा हो।
वह सोचती— शायद मेरा वहम है, लेकिन उसके मन में बेचैनी बढ़ती जा रही थी।
एक अनसुनी आवाज़
एक शाम आर्या लाइब्रेरी बंद कर रही थी कि उसे अंदर के पुराने सेक्शन से देर-सी आवाज़ सुनाई दी—जैसे कोई धीरे-धीरे से “बचाओ…” कह रहा हो।
वह चौंक गई। लाइब्रेरी में उस समय कोई नहीं था।
हिम्मत जुटाकर वह टॉर्च लेकर पुराने कमरे की तरफ़ बढ़ेगा। वहाँ ज़रूरत के हिसाब से धूल, पुरानी किताबें और फूटे-फूटे रैक थे।
लेकिन टॉर्च की रोशनी जब एक कोने में गई, तो उसने देखा कि दीवार पर कुछ छानबीन हुई थी—
“मैं दब हूँ…”
आर्या के शरीर में सिहरन दौड़ गई।
कौन? कहाँ?
उसी रात वह पुलिस स्टेशन पहुँची और इंस्पेक्टर देव को सब बताया। देव, जो गंभीर और तर्कशील स्वभाव का था, पहले तो यह सब कल्पना समझ, लेकिन आर्या की घबराहट देखकर उसने जांच का भरोसा दिया।
लाइब्रेरी का रहस्य
अगले दिन देव और उनकी टीम लाइब्रेरी पहुँची। उन्होंने उस दीवार की जाँच की।
छानबीन नई लग रही थी, मानो किसी ने हाल ही में इसे बनाया हो।
लेकिन अंदर आने-जाने वाले लोगों का रिकॉर्ड साफ़ था—किसी बाहरी के आने की कोई जानकारी नहीं।
देव को शक हुआ कि कहीं यह मामला किसी पुराने गुमशुदगी से तो नहीं जुड़ना।
राजेश के रजिस्टर चेक करने पर पता चला कि लगभग पाँच साल पहले एक लड़की नैना रहस्यमयी तरीके से गायब हो गई थी। उसकी आखिरी लोकेशन?
यह लाइब्रेरी।
आर्या का दिल ज़ोर से धड़कने लगा। अचानक गायब हो जाने की उस पुरानी घटना का जिक्र राजेश में अब लगभग कोई नहीं करता था।
लेकिन अब बातें वापस सामने आ रही थीं।
अदृश्य परछाईं
जैसे-जैसे रातें बीत रही थीं, आर्या को अजीबोगरीब अनुभव होने लगा।
कभी उसके कमरे में रखी कुर्सी अपनी आप खिसक जाती…
कभी किसी के आस-पास की आवाज़ आती…
कभी उसे महसूस होता है कि उसके पीछे कोई खड़ा है, लेकिन देखने पर कुछ नहीं।
एक रात उसे साफ-साफ सुनाया—
“मुझे खोजो… मेरी आवाज़ लौटा दो…”
आर्या डर गई। उसने देव को फोन किया। देव तुरंत पहुँचा।
कमरे की जाँच हुई, लेकिन कोई सबूत नहीं मिला।
देव ने कहा, “अगर कोई तुम्हें डराना चाहता है, तो वो बहुत करीब से नज़र रख रहा है। हमें मिलेगा कि कौन इसका फायदा उठा सकता है।”
सच का पहला धागा
दूसरे दिन आर्या ने लाइब्रेरी के पुराने रिकॉर्ड खंगालने शुरू किए। एक फ़ाइल में उसे नैना की एक डायरी मिली।
उसमें आखिरी लिखा था—
“अगर मैं यहाँ से गायब हो गई, तो समझ लेना कि सच्चाई लाइब्रेरी की दीवारों के पीछे कैद है। किसी को बताना, वरना मेरी आवाज़ हमेशा के लिए खो जाएगी।”
डायरी ठेकेदार आर्या कांप।
क्या नैना की चीख़ अब भी इन दीवारों में फँसी हुई है?
छिपा हुआ कमरा
देव और आर्या ने लाइब्रेरी के पीछे लगी पुरानी दीवार की जाँच की।
देव ने हथौड़ा मारकर देखा—अंदर खोखली आवाज़ आई!
कुछ ही देर में दीवार का टूटा हिस्सा गिरा, और भीतर एक अंधेरा, संकरणा कमरा दिखाई दिया।
कमरे में एक पुराना टेप रिकॉर्डर पड़ा था, जिसकी रील पर लिखा था—
“नैना – आखिरी रिकॉर्डिंग”
देव ने रिकॉर्डर चलाया।
रील से एक टूटती, डर से भरी आवाज़ निकली—
“अगर कोई यह सुन रहा है… तो मुझे बचा लो। कोई मुझे यहाँ बंद कर रहा है… वो कहता है कि मेरी चीख़ कोई नहीं सुन स्टेशन… कोई नहीं…”
अचानक एक भारी पुरुष आवाज़ सुनाई दी—
“चुप रहो!”
और रिकॉर्डिंग खत्म हो गई।
आर्या की आँखें भर आईं।
देव के चेहरे से शांति गायब थी—अब ये रहस्य नहीं, हत्या का मामला था।
संदेह की दिशा
कई पुराने रिकॉर्ड चेक करने पर शक की सुई लाइब्रेरी के पूर्व केयरटेकर—नरेश पर जाकर टिक गई, जो नैना के गायब होने के तुरंत बाद नौकरी छोड़कर कस्बा छोड़ गया था।
देव ने नरेश का पता लगाया। वह झरने से बाहर एक चौथे घर में छिपा हुआ था।
पूछताछ में नरेश ने कहा—
“मैंने नैना को नहीं मारा… मैंने उसे बंद किया था… उसके पास मेरे राज़ थे… मैं डर गया था… लेकिन जब मैं वापस गया, तो वह… वह गायब थी…”
“गायब? कैसे?” देव ने पूछा।
नरेश एक बात दोहरा रहा—
“उसकी चीख़… चीख़ अभी भी वहीं है… दीवार में…”
कहानी का मोड़
देव ने नरेश को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन एक सवाल अब भी ज़िंदा था—
अगर नरेश ने उसे छोड़ा नहीं… तो नैना कहाँ गई?
उसी रात आर्या को फिर वही आवाज़ सुनाई दी—
“अब तुम्हें मेरा सच दिखाना है…”
अचानक लाइब्रेरी के पीछे वही छिपा हुआ कमरा खुद-ब-खुद हिलने लगा। ऐसा लगा कि कोई भीतर से बाहर आने की कोशिश कर रहा हो।
आर्या ने हिम्मत करके टॉर्च जलाई और कमरे में गई।
वहाँ दीवार पर एक नई तैयारी बनी थी—
“धन्यवाद… अब मैं मुक्त हूँ।”
उसी समय हवा की तेज़ लहर आई, और कमरे में बंद सीलन भरी बदबू अचानक गायब हो गई।
आर्या की आँखें भर आईं।
किरदारों की टेबल
| किरदार | भूमिका | कहानी में कार्य |
|---|---|---|
| आर्या | लाइब्रेरी असिस्टेंट मिस्ट्री की शुरुआत | अनुभव करती है, नैना की तलाश और सच्चाई सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका। |
| इंस्पेक्टर | देव पुलिस अधिकारी जांच करता है, | छिपा कमरा और नैना की रिकॉर्डिंग उजागर करता है, अपराधी को पकड़ता है। |
| नैना | गुमशुदा लड़की उसकी आवाज़ और रहस्य | कहानी की मुख्य जड़ है; उसकी रिकॉर्डिंग सच की दिशा दिखाती है। |
| नरेश | लाइब्रेरी का पूर्व केयरटेकर | नैना को बंद करने वाला, मुख्य अपराधी; जिसके कारण कहानी में रहस्य और तनाव पैदा होता है। |