तीसरी खिड़की से आती चीख — एक रहस्य कथा

तीसरी खिड़की से आती चीख — एक रहस्य कथा

तीसरी खिड़की

शहर की भीड़-भाड़ से दूर बसा शांत मोरवाड़ी इलाका अपनी खूबसूरत झील और पुराने औपनिवेशिक घरों के लिए मशहूर था। इसी इलाके के किनारे एक दो-मंज़िला पुराना मकान था—सुषमा विला। यह घर कई सालों से खाली पड़ा था, पर रात के समय यहां से आती अजीब आवाज़ों की अफवाहें फैलती रहती थीं। कोई कहता है, गलियों में किसी की परछाईं दिखती है; कोई कहता है, जैसे कोई रोता हो।

लोगों को इन बातों पर यकीन तो नहीं था, लेकिन हर कोई उस घर से दूर ही रहना पसंद करता था।

कहानी की शुरुआत होती है रिद्धिमा से—एक कॉलेज में पढ़ने वाली होनहार लड़की, जिसे रहस्य कथाओं का बहुत शौक था। वह हमेशा अपने जिज्ञासु दिमाग से किसी न किसी बात की तह तक पहुँच जाती थी।

पहला सुझाव

एक शाम कॉलेज से लौटते समय रिद्धिमा ने देखा कि सुषमा विला की तीसरी खिड़की से देर-सी रोशनी चमकी। आमतौर पर घर पूरी तरह अंधेरा रहता था, पर आज कुछ अलग था।

उसके कदम खुद-ब-खुद वहीं रुक गए। ठीक है तभी, उसने एक चीख सुनी—

“बचाओ…”

आवाज़ कमजोर, पर बेहद डरावनी थी।

रिद्धिमा का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। वह तुरंत अपने दोस्त और पड़ोसी विवेक के घर पहुँची। विवेक शांत स्वभाव का लड़का था और रिद्धिमा की रोमांच से भरी आदत से अच्छी तरह वाकिफ था।

“विवेक! मैंने उस घर की तीसरी खिड़की से किसी के चीखने की आवाज़ सुनी!”

विवेक ने पहले तो हंस कर टाल दिया, लेकिन रिद्धिमा की ज़िम्मेदार देखकर उसे भी शक होने लगा।

दोनों ने तय किया कि अगली शाम को उस घर की जांच करेंगे।

सुषमा विला में कदम

अगली शाम सुबह ठंडक थी। जैसे-जैसे दोनों उस पुराने घर के पास पहुँचे, माहौल और भी डरावना लगता गया।

दरवाजे पर जंग लगा ताला था, पर आश्चर्य की बात यह थी कि ताला खुला हुआ था।

“किसने खोला इसे?” विवेक ने फुसफुसाते हुए पूछा।

घर के अंदर घुसते ही धूल की मोटी परत और पुरानी लकड़ी की गंध ने दोनों का स्वागत किया। दीवार पर जाले लटके थे और फ़र्नीचर जगह-जगह से टूटा हुआ था।

लेकिन घर में बेहद अजीब सन्नाटा था—जैसे किसी ने इसे चालू भी न हो।

दोनों टॉर्च की रोशनी में ऊपर की मंज़िल की ओर बढ़ने। रिद्धिमा की नज़र बार-बार तीसरी खिड़की की तरफ जा रही थी।

जब वे सीढ़ियां चढ़ रहे थे, तब फिर वही आवाज़ आई—एक कमज़ोर, काँपता हुआ स्वर।

“को…ई है…?”

विवेक ने डर से रिद्धिमा का हाथ पकड़ लिया। लेकिन रिद्धिमा का जिज्ञासु मन उसे रोक नहीं रहा था।

तीसरी खिड़की का कमरा

दरवाजा आधा खुला था। जैसे ही दोनों अंदर गए, कमरा पूरी तरह बिखरा हुआ था।

फ़र्नीचर पर कागज़, पुराने फोटो और एक टूटी हुई कुर्सी पड़ी थी।

और वही तीसरी खिड़की—थोड़ी खुली हुई।

टॉर्च की रोशनी घूमते हुए रिद्धिमा की नज़र कमरे के कोने में पड़ी एक पुरानी लकड़ी की पेटी पर पड़ी। पेटी पर धूल जमी थी, पर कूपन पर छापे साफ दिखाई दे रही थीं—जैसे किसी ने हाल ही में इसे खोलने की कोशिश की हो।

रिद्धिमा पेटी के पास झुक ही रही थी कि एक तेज़ हवा का झोंका आया और खिड़की जोर से बंद हो गई।

विवेक चौंकते हुए बोला, “यहाँ कुछ ठीक नहीं है!”

तभी कमरे के बाहर पैरों की आहट हुई—धीमी, लेकिन बेहद साफ़।

अनजान आदमी

दोनों ने धकेल हुए दरवाजे की तरफ देखा।

एक दुबला-पतला, कंधे झुके हुए बुजुर्ग आदमी दस्तक देते हुए अंदर आए। उन्होंने हाथ में एक लालटेन पकड़ी हुई थी।

“कौन… कौन हो तुम लोग?” उन्होंने कांपती आवाज़ में पूछा।

रिद्धिमा ने खुद को संभालते हुए कहा, “हमने इस घर से चीख सुनी थी। हम बस यह पता लगाने आए थे कि कोई मुसीबत में तो नहीं।”

बुजुर्ग थोड़ी देर चुप रहे, फिर देशभर में बोले,

“मैं इस घर का पुराना चौकीदार हूँ—रामदीन। कई दिनों से यहाँ अजीब चीज़ें हो रही हैं। मुझे भी चीखें सुनाती हैं…”

रिद्धिमा और विवेक एक-दूसरे को देख रहे थे; कहानी अब और भी उल गई थी।

पेटी का राज़

रामदीन ने पेटी की तरफ इशारा करते हुए कहा,

“इस पेटी में इस घर की मालकिन सुषमा देवी की निजी चीज़ें हैं। उनके गायब होने के बाद से घर बंद पड़ा है। कोई नहीं जानता कि उस रात क्या हुआ था।”

रिद्धिमा ने ताला खोलकर पेटी खोली। अंदर कुछ पुराने पत्र, एक डायरी, और एक कांच का छोटा सा पेंडेंट था।

डायरी डूबने से पहले ही पन्ने पर लिखा था—

“अगर मुझे कुछ हो जाए, तो सच्चाई तीसरी खिड़की के पीछे है…”

रिद्धिमा की सांसें थम-सी गईं।

गुप्त रास्ता

तीसरी खिड़की के पास दीवार पर सुबह-सी दरार दिखाई दे रही थी।

रिद्धिमा ने दीवार को धक्का दिया—और आश्चर्य!

दीवार का एक हिस्सा धीरे-धीरे अंदर की ओर खिसक गया।

अंदर एक छोटा-सा कमरा था—अंधेरा, ठंडा, और धूल से भरा हुआ।

कमरे के बीचोंबीच एक टूटी हुई कुर्सी और बंधी हुई रस्सियाँ पड़ी थीं—जैसे किसी को यहां कैद करके रखा गया हो।

विवेक घबराकर बोला, “क्या सुषमा देवी को यहां…?”

तब कमरे के अंदर से एक और आवाज़ आई—

“मदद…”

इस बार आवाज़ साफ़ और असली थी।

रिद्धिमा ने टॉर्च की रोशनी घुमाई और देखा—एक महिला, बेहद कमजोर अवस्था में कोने में बैठी थी।

सच्चाई सामने

वह कोई और नहीं बल्कि सुषमा देवी की छोटी बहन—कविता थीं।

कविता ने कांपते हुए बताया:

पात्रों की टेबल

पात्रभूमिकाकहानी में कार्य
रिद्धिमामुख्य नायिका रहस्य की जांच करती है, तीसरी खिड़की का सुराग खोजती है, गुप्त कमरे का पता लगाती है।
विवेकरिद्धिमा का दोस्तरिद्धिमा की मदद करता है, घटनाओं को समझने में सहायक बनता है।
रामदीनपुराने चौकीदारघर के पुराने रहस्यों की जानकारी देता है, कहानी को दिशा देता है।
कवितासुषमा देवी की बहनतीसरी खिड़की से आने वाली चीख का स्रोत, असली घटना सामने प्रकाशित है।
मोहनखलनायकघर का पूर्व केयरटेकर, सुषमा देवी पर हमला करता है और कविता को कैद करता है।
सुषमा देवीघर की मालकिन (दिवंगत)उनकी मौत का रहस्य कहानी का मूल बिंदु है।

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