दिल की आख़िरी दास्तान

कभी–कभी ज़िंदगी हमें ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है, जहाँ दिल के पास कहने को बहुत कुछ होता है, लेकिन वक़्त बचे चुप रहने की इजाज़त देता है। यह कहानी भी कुछ ऐसी ही है—एक ऐसे प्यार की, जो पूरी दुनिया से लड़ सकता था, मगर किस्मत से नहीं जीत पाया।
पहला मिलन
आरव पहली बार अंजलि से कॉलेज की लाइब्रेरी में मिला था। बाहर बारिश हो रही थी और अंदर लाइब्रेरी में बस पन्नों की सुबह–हल्की सरसराहट थी। अंजलि एक कोने में मुस्कान कविता की किताब पढ़ रही थी।
आरव ने उसकी आँखों में गहरी उदासी देखी, जैसे उन आँखों में कई अनकही बातें छिपी हों।
एक सुबह मुस्कान के साथ उसने पूछा—
“तुम्हें कविताएँ पसंद हैं?”
अंजलि ने सिर बढ़ाकर देखा, उसकी आँखों में वही उदासी थी, लेकिन मुस्कान सच्ची थी।
“हाँ… शायद इसलिए, क्योंकि शब्द अक्सर वो कह देते हैं जो मन नहीं कह पाता।”
इसी एक वाक्य ने, आरव की पूरी दुनिया बदल दी।
दोस्ती की शुरुआत
दोनों धीरे-धीरे दोस्त बन गए। क्लास के बाद कैंटीन की चाय, लाइब्रेरी की खामोशी, परिसर की गूँजती गलियों में घुमा—सब एक आदत बन गया।
आरव को उसके साथ समय खड़ा करना अच्छा लगता था। लेकिन उसने महसूस किया कि अंजलि अक्सर दूर-दूर रहती है। वो हँसती थी, मगर उसकी हँसी में भी एक टूटन थी।
एक दिन आरव ने हिम्मत करके पूछा—
“अंजलि, क्या तुम खुश नहीं हो?”
अंजलि कुछ पल चुप रही, फिर बोली—
“मैं खुश होने की कोशिश करती हूँ… लेकिन कुछ ज़ख्म ऐसे होते हैं जो वक्त के साथ भरते नहीं, बस जीना सिखाते हैं।”
आरव उसके दर्द का कारण नहीं जानता था, लेकिन उसने दिल से वादा किया कि वो उसे फिर से मुस्कुराना सिखाएगा।
प्यार… लेकिन अनकहा
महीनों बीत गए। आरव के दिल में प्यार गहराता गया। मगर उसने कभी कहा नहीं। उसे डर था कि कहीं उसकी दोस्ती की दुनिया बिखर न जाए।
पर वह जानता था—अंजलि भी उसे अलग तरह से महसूस करती है। उसकी नजरें, उसका ख्याल, उसकी चुप्पियाँ… सब बहुत कुछ कहती थीं।
लेकिन अंजलि हमेशा अपने दिल पर ताला लगाए रहती थी, जैसे किसी खोए हुए दर्द का बोझ अभी भी उसके साथ चल रहा हो।
सच का खुलना
एक शाम, जब सूरज ढलने लगा था, अंजलि ने अचानक कहा—
“आरव, अगर कल मैं तुम्हारी ज़िंदगी से चली जाऊँ तो क्या तुम भूल जाओगे मुझे?”
आरव घबराया।
“अंजलि, क्या बात है? तुम ऐसे क्यों बोल रही हो?”
अंजलि की आँखों में आँसू थे।
“ज़िंदगी कभी–कभी बहुत छोटी रह जाती है… और मेरे पास शायद बहुत कम वक्त है।”
आरव के पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
“क्या मतलब…? अंजलि, साफ–साफ बताओ!”
अंजलि ने हाथ काँपते हुए बताया कि पिछले साल उसे एक गंभीर बीमारी का पता चला था, और अब डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी थी।
आरव की आवाज काँप गई—
“तुमने मुझे बताया क्यों नहीं…?”
अंजलि ने देर रात मुस्कान के साथ कहा—
“क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि मेरी वजह से तुम्हारे सपनों पर बोझ पड़े। तुम खुश रहो… बस यही चाहा था।”
उस पल आरव ने उसका हाथ थमकर कहा—
“अंजलि, बिना मेरी खुशी अधूरी है। अगर तुम्हें दर्द है, तो उसे बाँटना मेरा हक़ है।”
अंजलि पहली बार ज़ोर से रोई, और शायद वही पल था जब उसने अपने दिल के सारे कूपन खोल दिए।
आख़िरी दिनों की खुशियाँ
आरव ने तय किया कि अब अंजलि का हर पल सुंदर होगा।
वह उसे बारिश में भीगने ले जाता, क्योंकि अंजलि कहती थी—“बारिश में आँसू छिप जाते हैं।”
वह उसे झील के किनारे बैठाकर सूरज डूबता दिखाता है।
वे दोनों मिलकर अपनी पसंदीदा कविताएँहेल, गुनगुनाते, हँसते… और कभी–कभी चुप रहते हैं, क्योंकि मुस्कुराहट भी अपनी भाषा बोलती है।
जीवन छोटा था, पर उन दिनों में इतना प्यार था कि उम्र भी कम लगती थी।
दिल की आख़िरी दास्तान
एक रात अंजलि ने कहा—
“आरव, क्या तुम मेरी एक आख़िरी बात मानोगे?”
“तुम कहो… मैं सब मनाल।”
अंजलि ने उसकी तरफ देखा—
“मुझे डर लगता है कि मेरे जाने के बाद तुम टूट जाओगे। वादा करो, तुम आगे बढ़ोगे।”
आरव ने पकेते हुए कहा—
“अगर तुम चाहती हो, तो मैं कोशिश करूँगा… लेकिन तुम मेरे दिल का हिस्सा हमेशा रहोगी।”
अंजलि मुस्कुराई, उसने आरव का हाथ अपने दिल पर रखा और कहा—
“जब तक ये धड़कन चलाएगी, मैं ज़िंदा हूँ… और जब ये थम जाएगी, मेरी कहानी भी खत्म हो जाएगी। यही है—दिल की आख़िरी दास्तान।”
उस रात अंजलि सो गई… और फिर कभी नहीं जागी।
आरव ने उसे आख़िरी बार देखते हुए महसूस किया कि कुछ लोग ज़िंदगी से जाते हैं, पर दिल से नहीं।
अंत… जो वास्तव में एक शुरुआत थी
अंजलि के जाने के बाद आरव टूट चुका था, पर उसने उसका वादा नहीं तोड़ा।
उसने कविता लिखनी शुरू की, लोगों को मुस्कुराना सिखाना शुरू किया… जैसे अंजलि ने उसे सिखाया था।
लेकिन हर कविता में, हर मुस्कान में, हर खामोशी में—
अंजलि की याद, उसकी हँसी, उसकी आँखों की उदासी…
सब धीरे-धीरे “दिल की आख़िरी दास्तान” बन गई।
पात्रों की तालिका
| पात्र | भूमिका | कहानी में महत्व |
|---|---|---|
| आरव | मुख्य पुरुष पात्र | अंजलि से गहरा प्रेम करता है, उसके दुख को जानता है और आख़िरी दिनों में उसे खुश रखने की पूरी कोशिश करता है। |
| अंजलि | मुख्य महिला पात्र | गंभीर बीमारी से जूझ रही है, पर भीतर से बेहद संवेदनशील और प्यार करने वाली। उसकी ज़िंदगी की आख़िरी कहानी ही इस कथा का आधार है। |
| डॉक्टर | सहायक पात्र | अंजलि की बीमारी और उसकी हालत की सच्चाई बताने वाला। कहानी में वास्तविकता का पक्ष सामने लाता है। |
| कॉलिज | मित्र पृष्ठभूमि पात्र | आरव और अंजलि की कॉलेज लाइफ का माहौल बनाते हैं, कहानी को वास्तविकता देते हैं। |