धुंध में दिखी परछाई – एक रहस्य कहानी

सर्दियों की वह रात कुछ ज़्यादा ही चुप थी। धुंध के बीच बसे छोटे से गाँव धूपगढ़ में आमतौर पर शाम होते ही लोग अपने घरों में दुबक जाते थे, लेकिन उस दिन हवा में एक अजीब-सी बेचैनी थी। चारों ओर फैली जबकि धुंध इतनी घुटने थी कि सामने खड़ा इंसान भी धुँधला दिखाई दे रहा था। ऐसे में किसी परछाई का दिख जाना किसी के भी दिल की धड़कनें बढ़ा सकता था।
कहानी की शुरुआत होती है आरव से—एक शांत, समझदार और थोड़ा जिज्ञासु स्वभाव का युवक। वह शहर से गाँव में अपने नाना-नानी से मिलने आया था। गाँव का शांत माहौल उसे हमेशा अच्छा लगता था, लेकिन इस बार गाँव में कुछ तो अलग था। हर कोई थोड़ा डर-डरा था, और लोग ज़्यादा बाहर निकलने से बच रहे थे। कारण था—रात के समय धुंध में एक अजीब परछाई दिखाई देना।
गाँव के लोग कहते थे कि धुंध में दिखने वाली वह आकृति किसी इंसान की नहीं, बल्कि एक “आत्मा” की है। लेकिन आरव को इन बातों पर विश्वास नहीं था। उसकी आदत थी किसी भी बात की तह तक जाने की।
नाना-नानी ने भी उसे समझाया—
“बेटा, इधर रात में बाहर मत निकलो, लोग कहते हैं कि यह परछाई किसी को भी अपने पीछे-पीछे ले जाती है और फिर… कोई नहीं जानता वह कहाँ पहुँच जाता है।”
आरव ने हल्के से हँसते हुए कहा—
“नानी, आजकल भूत-प्रेत कहाँ होते हैं? कुछ तो तर्क ज़रूर होगा।”
लेकिन नानी की आँखों में डर साफ था। वह जानी थीं कि पिछले दो हफ्तों से गाँव में कुछ अजीब कहानियाँ हो रही थीं। दो लोग रात में गायब हो चुके थे और किसी को नहीं पता था वे कहाँ गए।
रहस्य की शुरुआत
अगले दिन आरव ने इस परछाई के बारे में गाँव वालों से बात की। हर किसी ने अपनी-अपनी कहानी बताई—किसी ने कहा परछाई काली है, किसी ने कहा लंबा, तो किसी ने कहा कि उसके पैदल चलने की आवाज़ भी सुनाई देती है। पर अजीब बात यह थी कि किसी ने भी परछाई के चेहरे को साफ-साफ नहीं देखा था।
आरव जितना सुनता, उतना ही उत्सुक होता गया। उसने तय किया कि वह खुद देखेगा कि इस परछाई का सच क्या है।
उस रात वह अपनी टॉर्च और एक छोटा कैमरा लेकर घर से निकला। नानी ने बहुत मना किया, लेकिन उसकी जिज्ञासा के आगे कोई कुछ न कर पाया।
धुंधला बढ़ती जाती है
रात के लगभग 11 बजे थे। हवा ठंडी थी और धुंध लगातार घुटने लगती जा रही थी। आरव गाँव के बाहर वाले पुराने रास्ते पर पहुँचा—वही रास्ता जहाँ परछाई देखे जाने की बात कही जाती थी।
उसने चारों ओर देखा। कुछ नहीं।
लेकिन जैसे-जैसे वह आगे बढ़ा, उसे लगा मानो कोई उसके पीछे चल रहा है। पैदल की धीमी-धीमी आवाज़… टप… टप… टप…
आरव रुक गया। आवाज़ भी रुक गई।
फिर चला—आवाज़ भी चली।
उसका दिल थोड़ा तेज़ धड़कने लगा, लेकिन वह हिम्मत कर आगे बढ़ा।
अचानक, धुंध के बीच एक लंबी-सी परछाई दिखाई दी।
आरव की साँसें रुक गईं।
परछाई बिना हिले-डुले खड़ी थी। धुंधला उसे और डरावना बना रही थी।
“कौन… कौन है वहाँ?” आरव ने ज़ोर से पूछा।
परछाई ने कोई जवाब नहीं दिया।
रहस्य गहराई है
धीरे-धीरे परछाई उसकी तरफ बढ़ने लगी। आरव ने टॉर्च की रोशनी उसकी ओर फेंकी, लेकिन धुंधला इतनी घुटने थी कि रोशनी भी उसमें खो गई।
लेकिन जैसे ही वह पास आई, आरव ने देखा—वह कोई भूत नहीं था। वह तो एक इंसान था! लेकिन चेहरा अभी भी साफ नहीं दिख रहा था।
आरव अलविदा हुए भी बोला,
“आप कौन हैं? गाँव वाले क्यों कह रहे हैं कि आप लोगों को गायब करते हैं?”
तब परछाई कुछ बोलने वाली थी कि अचानक एक और आवाज़ आई—“आरव, पीछे हटो!”
यह आवाज़ थी कियारा की—गाँव की बहादुर और समझदार लड़की, जो बचपन से आरव की दोस्त थी। वह भी रहस्यमय परछाई के पीछे कुछ दिनों से जाँच कर रही थी।
कियारा ने आरव को खींचकर पीछे किया।
“यह भूत नहीं है। यह वो आदमी है जो गाँव वालों को डराकर रात में जंगल की तरफ ले जाता है।”
आरव चौंका—“लेकिन क्यों?”
सच्चाई सामने आती है
तभी धुंध थोड़ी हटी और परछाई का चेहरा साफ दिखने लगा। वह था राघव—गाँव के पुराने जमींदार का बेटा, जो कई साल पहले शहर चला गया था।
कियारा ने बताया—
“राघव यहाँ की ज़मीनों पर अपना कब्ज़ा जमाना चाहता है। वह जानता है कि लोग डर जाएँगे तो यहाँ से भाग जाएँगे। दो लोग जो गायब हुए थे, वो भी राघव के साथ थे। उसने उन्हें धमककर चुप रखा था।”
आरव ने गुस्से में कहा—
“तुमने लोगों को डराकर क्या पाया?”
राघव हँसा,
“डर सबसे बड़ा हथियार है। जब लोग गुस्से में होते हैं, तो स्वैच्छिक नहीं… और मैं इसी का फायदा उठा रहा था।”
लेकिन अब उसके दाँव उल्टे पड़ गए थे। कियारा ने उसके सारे सबूत अलग कर के लिए थे—गायब लोगों के बयान, उसके नक्शे और उसकी योजनाएँ।
आरव और कियारा ने मिलकर उसे पकड़ लिया और गाँव वालों के घुमाव कर दिया।
धुंध हटती है—डर भी
अगले सुबह जब सूरज उगता, तो गाँव के ऊपर छाई धुंध भी जैसे सुबह हो चली। लोग राहत की साँस ले रहे थे। अब परछाई का डर मिट चुका था।
नानी ने आरव को गले लगाए हुए कहा,
“देखा, हर परछाई डर की नहीं होती… कभी-कभी वह सच की तरफ भी ले जाती है।”
आरव मुस्कुराया। वह जानता था कि साहस और सच्चाई मिलकर किसी भी रहस्य को उजागर कर सकते हैं।
कियारा ने मजाक में कहा,
“अब तो तुम परछाई के जासूस बन गए हो!”
चरित्र तालिका
| चरित्र का नाम | कहानी में भूमिका | विवरण |
|---|---|---|
| आरव | मुख्य पात्र जिज्ञासु, | समझदार युवक; रहस्य को सुलझाता है |
| कियारा | सहायक मुख्य पात्र | बहादुर लड़की, आरव की बचपन की दोस्त; सच्चाई उजागर करती है |
| नानी | परिवार का सदस्य | आरव को चेतावनी देती है; गाँव वालों के डर को छुपा है |
| राघव | खलनायक ज़मीन | हथियाने के लिए परछाईं बनकर लोगों को डराता है |
| गाँव वाले | सहायक पात्र | डर के माहौल को दिखाते हैं और कहानी को वास्तविक रूप देते हैं |