मौत का आख़िरी सुराग

शहर के पुराने हिस्से में बसा धनराज हवेली रोड कई सालों से वीरान पड़ा था। लोग कहते थे कि रात के बाद इस रास्ते पर कदम रखना अपने ख़तरे को बुलाना है। लेकिन क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर आरव राठौर के लिए डर जैसी कोई चीज़ बताती नहीं रहती थी। उन्हें वही जगहें खींचती थीं जहाँ रहस्य सबसे गहरा हो।
पिछली रात शहर में हुई एक रहस्यमयी हत्या ने सबको हिला दिया था। एक युवक की लाश हवेली रोड पर मिली थी—चेहरे पर डर की जमी हुई छाप, हाथ में फटा हुआ कागज़ और पास में गिरा पुराना तांबे का लॉकेट। सबसे अजीब बात ये थी कि कागज़ पर बस एक ही लाइन लिखी थी:
“सुराग आख़िरी नहीं… पर मौत पहली है।”
आरव को यह मामला बताया गया, और वह पूरे भरोसे के साथ रात के समय उसी जगह पहुँचे जहाँ लाश मिली थी। हल्की-हल्की हवा चल रही थी, और टूटी सड़क के किनारे लगी, असफल जगहों रहस्य को और गहरी रही थीं। स्ट्रीट लाइट की पीली रोशनी में उनका साया लंबा दिखाई दे रहा था।
जांच शुरू करते ही आरव ने कुछ पानी गौर कीं। ज़मीन पर टायर के निशान बने थे, जैसे कोई गाड़ी अचानक रोकी गई हो। पास ही एक टेलर शॉप का बिल उड़ा पड़ा था, जिस पर तारीख उसी रात की थी। उन्हें तुरंत लगा कि हत्या कोई आम घटना नहीं… बल्कि किसी गहरी योजना का हिस्सा है।
आरव सीधे टेलर शॉप पहुँचे, जिसका नाम था—“राजू टेलर्स”। दुकान के मालिक राजू एक दुबला-पतला, घबराया हुआ व्यक्ति था। आरव ने उसे बिल दिखाते हुए पूछा,
“ये आपका है?”
रुज ने एक नज़र सिर हिला दिया। “हाँ सर… लेकिन वो बिल रात को मैंने तो किसी को नहीं दिया।”
“किसी को?” आरव ने शक भरी नज़र से पूछा।
रुज कुछ पल के लिए चुप रहा, फिर धीरे से बोला, “सर, पिछले दो हफ़्तों से एक आदमी मेरी दुकान के बाहर चक्कर लगा रहा था। चेहरा हमेशा ढका रहता है। रात में भी आता था।”
आरव और भी सतर्क हो गए। उन्होंने आस-पास पूछताछ की, लेकिन कोई भी उस रहस्यमयी आदमी को पहचान नहीं पाया। तभी आरव को याद आया कि मृतक के हाथ में तांबे का पुराना लॉकेट मिला था। उन्होंने उसे ध्यान से देखा—उस पर एक अजीब सा प्रतीक बना हुआ था, जैसे कोई गुप्त संगठन का चिन्ह हो।
आरव ने लॉकेट को एक्टिव से जांचवाया, तब पता चला कि ये प्रतीक करीब 40 साल पहले शहर में सक्रिय एक गुप्त समूह का निशान था—जिसका नाम था “छाया मंडल”। कहा जाता था कि ये समूह चोरी, काले कारोबार और कुछ अनकही घटनाओं में शामिल रहा है। लेकिन ये समूह कई साल पहले गायब हो गया था… या यों कहें कि गायब कर दिया गया था।
अब यह मामला और भी उलझ गया था।
अगले दिन आरव मृतक के घर पहुंचें। वहां उनकी मुलाकात मृतक की बहन नैना से हुई। उसकी आंखों में डर और दुख दोनों साफ दिखाई दे रहे थे। उसने बताया कि उसका भाई अमन पिछले कुछ दिनों से बेचैन था। वह बार-बार कहता था कि कोई उसका पीछा कर रहा है।
नैना ने आरव को अपने भाई की एक पुरानी डायरी दी। डायरी के आख़िरी पन्ने पर लिखा था—
“सच मैं सामने लाऊँगा, चाहे मेरी जान ही क्यों न चली जाए। आख़िरी सुराग मेरे पास है।”
इस एक लाइन ने पूरे मामले का रुख बदल दिया।
आरव ने डायरी को गहराई से पढ़ा। पता चला कि अमन पुराने बंद पड़े गोदामों के बारे में खोज कर रहा था। खासकर एक गोदाम—गोदाम नंबर 17। अमन का शक था कि शहर में दोबारा “छाया मंडल” सक्रिय हो चुका है और कोई बड़ा अपराध होने वाला है।
आरव तुरंत गोदाम 17 पहुँचे। वह जगह बहुत सुनसान थी। उन्होंने टॉर्च निकाली और अंदर कदम रखा। अंधेरा इतना गहरा था कि लगता था जैसे दीवारों ने भी साँस रोक रखी हो। फिर टॉर्च की रोशनी एक कोने में खड़ी पुरानी गाड़ी पर पड़ी। गाड़ी का दरवाज़ा खुला था और उसके अंदर वही चिन्ह बना था जो लॉकेट पर था।
उसी समय पीछे से किसी के आस-पास की आहट आई।
“कौन है?” आरव गरजे।
एक परछाईं तेज़ी से भागी। आरव उसके पीछे दौड़े। कुछ ही सेकंड में आरव ने उसे पकड़ लिया। उसका चेहरा ढका हुआ था। आरव ने नकाब हटाया—और वह देखकर चौंक गए।
वह था राजू टेलर।
“तुम इस सब में कैसे शामिल हो?” आरव ने सख्त आवाज़ में पूछा।
राजू रोने लगा, “सर… मुझे मजबूर किया गया। मैंने किसी को नहीं मारा। छाया मंडल फिर से शहर में लौट आया है। उनका नया मुखिया बहुत ख़तरनाक है। अमन ने उनका सच जान लिया था, इसलिए उन्हें मार दिया गया।”
“और मुखिया कौन है?” आरव ने पूछा।
राजू डर के मारे काँप रहा था। तभी गोदाम के पिछले हिस्से से आस-पास पैदल की आवाज़ आई। एक लंबा कद-काठी का आदमी बाहर आया। चेहरे पर आत्मविश्वास और आँखों में अजीब चमक।
वह बोला,
“आरव राठौर… तुम्हें यहाँ नहीं आना चाहिए था।”
आरव ने पहचान लिया—वह कोई और नहीं बल्कि राघव कपूर था, शहर का मशहूर व्यवसायी और समाजसेवी, जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था कि वह किसी अपराध में शामिल हो सकता है।
राघव ने हँसते हुए कहा,
“छाया मंडल कभी खत्म नहीं हुआ था, इंस्पेक्टर। बस परछाइयों में इंतज़ार कर रहा था। और अमन… वह हमारे रास्ते में आ गया।”
कहानी के पात्र – तालिका
| पात्र का नाम | भूमिका / काम | कहानी में महत्व |
|---|---|---|
| आरव राठौर | इंस्पेक्टर, मुख्य जाँच अधिकारी | कहानी का नायक, पूरी हत्या और छाया मंडल की साजिश का खुलासा करता है |
| अमन मृतक | युवक सच का पता लगा रहा था; | उसकी मौत कहानी की शुरुआत का कारण बनता है |
| नैना | अमन की बहन | अमन की डायरी देती है, जिससे सुराग मिलता है |
| राजू टेलर | दर्ज़ी, छोटा किरदार | छाया मंडल के दबाव में था; आरव को मुख्य अपराधी तक पहुँचाने वाला सुराग |
| राघव कपूर | समाजसेवी और व्यवसायी | असली खलनायक; छाया मंडल का नया मुखिया |
| छाया | मंडल के गुंडे दुश्मन | गोदाम में आरव से भिड़ते हैं; राघव के निर्देशन पर काम करते हैं |