मौन साक्षी – एक थ्रिलर कहानी

रात गहरी थी। आधी के बीच बसा शांत कस्बा नवरंगपुर नींद में डूबा था। सड़कें खाली, दुकानों के शटर गिरे हुए, और हवा में ठंडक की एक पतली परत। लेकिन इसी खामोशी के बीच, पुराने रेलवे स्टेशन से एक अजीब-सी आवाज गूंज रही थी—कुछ बारिश या किसी के दौड़ने की सुबह-सी आहट।
स्टेशन चालीस साल पुराना था, और लोग कहते थे कि यहाँ रात में अजीब घटनाएँ होती हैं। लेकिन आज जो होने वाला था, उसने पूरे झटके को हिलाना दिया था।
शुरुआत—एक अनजाना डर
सुबह की पहली किरण के साथ ही खबर फैली—स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर दो पर एक आदमी मर गया। उसका नाम विक्रम साहनी था—कसबे का सबसे बड़ा बिल्डर, जिसके ऊपर कई ठेकेदार और जमीन विवाद चल रहे थे।
पुलिस पहुँची, भीड़ इट्ठी हुई, और जाँच की कमान मिली—इंस्पेक्टर आरव सिंह को। गंभीर, शांत और तेज दिमाग वाले आरव जाने जाते थे कि वे छोटे-से छोटे सुराग को भी अनदेखा नहीं करते।
लाश के पास कोई हथियार नहीं मिला, न ही संघर्ष के निशान। लेकिन प्लेटफॉर्म की दीवार पर खून से बना एक छोटा-सा निशान था—जैसे कोई कुछ लिखने की कोशिश कर रहा हो।
आरव ने आगे झुककर निशान को ध्यान से देखा। वह किसी अक्षर की तरह था—“म”… शायद “मौन” या “माया” या “मृत्यु”—कहना मुश्किल था।
लेकिन यही निशान बाद में इस केस की सबसे बड़ी कुंजी बनती है।
स्टेशन का मौन गवाह
स्टेशन मास्टर गोविंद ने बताया कि रात को उसने सिर्फ एक आदमी को प्लेटफॉर्म की तरफ जाते देखा था—एक सफेद शॉल ओढ़ी हुई और तेजी से चलने वाली एक महिला। चेहरे पर अंधेरा था, इसलिए पहचान न हो<extra_id_1>।
आरव ने उससे पूछा, “क्या आपने कुछ और देखा?”
गोविंद ने सुभाष-डरते कहा,
“हाँ साहब… मुझे लगा कोई छुपकर रो रहा था। पर मैं डर गया… इसलिए कमरे में चला गया।”
स्टेशन पर एक और चीज थी—CCTV कैमरे, लेकिन उनसे सिर्फ एक काम कर रहा था।
जब फुटेज निकाला गया, तो उसमें दिखा—
एक महिला, सफेद शॉल में, प्लेटफॉर्म पर रुकी। वह विक्रम के पास पहुँची, उससे कुछ कहा और फिर… कैमरों का एंगल खत्म हो गया।
लेकिन सिर्फ एक चीज कैमरे में साफ दिखी—महिला का हाथ। उसकी कलाई पर एक नीली चूड़ी थी—अद्वितीय और चमकीली।
शक के घुमाव में
अब केस उन लोगों के चारों ओर घूमने लगा जो विक्रम से जुड़े थे।
(1) माया ठाकुर – विक्रम की पुरानी बिजनेस पार्टनर। कुछ महीने पहले दोनों के बीच भारी झगड़ा हुआ था।
(2) नेहा – विक्रम की पत्नी, जो उससे खुश नहीं थी।
(3) राघव – विक्रम का छोटा भाई, जिसे लगता था कि विक्रम ने परिवार की जमीन हड़प ली है।
(4) सीमा – स्टेशन के पास रहने वाली एक मूक (गूंगी) लड़की, जिसे अक्सर रात में प्लेटफॉर्म पर देखा जाता था।
सीमा बोल नहीं सकती थी, लेकिन उसकी आँखों में उस रात का डर साफ दिख रहा था। आरव ने उससे इशारों में पूछताछ की, लेकिन वह जवाब देने से पहले ही काँपने लगी। वह ज़मीन पर कुछ लिखने लगी—
“ मैंने देखा… पर कहा नहीं जा सकता।”
किसी को पता नहीं था कि वही लड़की इस कहानी की सबसे बड़ी “मौन गवाह” थी।
सुरागों की कड़ियाँ
आरव ने घर-घर पूछताछ शुरू की।
सबसे पहले माया के पास पहुँचे।
माया ने कहा, “हाँ, मेरा झगड़ा हुआ था। मगर मैं उसे मार क्यों जाऊँगी? और वो भी रात के स्टेशन पर?”
उसकी बात में पहुँची थी, लेकिन आरव ने उसकी कलाई पर नीली चूड़ी नहीं देखी।
अब आरव ने विक्रम की पत्नी नेहा से पूछताछ की। नेहा टूट चुकी थी, लेकिन उसकी कलाई पर वह नीली चूड़ी थी… बिल्कुल वही जैसी फुटेज में दिखी थी।
आरव ने तुरंत पूछा, “कल रात आप कहाँ थीं?”
नेहा ने धीमी आवाज़ में कहा, “घर पर… सो रही थी।”
लेकिन उसकी जाली झूठ बोल रही थीं।
सच्चाई के करीब
इसी बीच सीमा ने एक कागज़ पर स्टेशन का एक नक्शा बनाया, और एक जगह पर मोटा-सा गोला बना दिया।
आरव तुरंत वह जगह देखने गया—प्लेटफॉर्म के पीछे एक पुराना स्टोर रूम, जहाँ धूल और बर्फबारी कैबिनेट पड़े थे।
और वहीं पर आरव को मिला—
एक आधी टूट चुकी नीली चूड़ी।
अब तस्वीर साफ होने लगी थी।
अंतिम मोड़
आरव ने नेहा को स्टेशन पर बुलाया और कहा,
“हमें नीली चूड़ी मिली है… वही जो फुटेज में भी थी। तुम क्या छुपा रही हो?”
नेहा ने पहले कुछ नहीं कहा, फिर अचानक रो पड़ा।
“मैंने उसे नहीं मारा… मेरा उससे झगड़ा ज़रूर हुआ था, पर उस रात मैं उससे मिलने गई थी क्योंकि वह तलाक देने को तैयार हो गया था। चर्चा करते-करते वह अचानक गिर पड़ा… शायद दिल का दौरा पड़ा हो!”
लेकिन आरव को उसकी बात पर भरोसा नहीं हुआ। तब सीमा कमरे में आई—अपने हाथ में कुछ पकड़े हुए।
वह एक छोटा पेंडेंट था—जिस पर “R” लिखा था।
यह राघव का था।
सीमा ने निर्देश से बताया—रात में जब नेहा वहाँ से चली गई थी, तब राघव आया था। विक्रम गिरा पड़ा था, लेकिन अभी ज़िंदा था।
राघव ने उसे लात मारी, गला लपेट… और उसे मरने के लिए छोड़ दिया।
सीमा ने यह सब अपनी छुपी जगह से देखा था, पर बोल न आँखों के कारण कुछ कह नहीं पाई।
अब आरव ने राघव को बुलाया। पहले वह मना करता रहा, फिर जब उसे पेंडेंट दिखाया गया तो टूट गया।
राघव बोला,
“उसने मेरी ज़मीन हड़प ली थी। मैं गुस्से में था… बस इतना ही। मेरा इरादा उसे मारने का नहीं था।”
कहानी के पात्रों की तालिका
| पत्र का नाम | कहानी में भूमिका | महत्वपूर्ण जानकारी |
|---|---|---|
| इंस्पेक्टर आरव सिंह | मुख्य जांच अधिकारी शांत | समझदार, हर सुराग पर ध्यान देने वाला |
| विक्रम साहनी | मृत व्यक्ति | बड़ा बिल्डर, कई आरोपों में शामिल |
| नेहा | विक्रम की पत्नी | कलाई में नीली चूड़ी, शुरुआत में मुख्य संदिग्ध |
| राघव | विक्रम का भाई | जलन और गुस्से के कारण असली अपराधी |
| माया ठाकुर | विक्रम की एक्स-बिजनेस | पार्टनर कलाई में नीली चूड़ी के कारण संदिग्ध, लेकिन निर्दोष |
| सीमा (मूक लड़की) | “मौन गवाह” | बोल नहीं सकती, लेकिन पूरी घटना देखी |
| गोविंद | स्टेशन मास्टर | रात की घटनाओं का पहला संकेत देने वाला |