वापसी उसकी… जो मर चुकी थी

अक्सर लोग कहते हैं कि मरने के बाद कोई लौटकर नहीं आता। पर जिस रात वह लौटी… उस रात गाँव की हवा भी काँपती थी। यह कहानी है सीमा, एक ऐसी लड़की की, जिसकी मौत ने पूरे गाँव को हिला दिया था—और जिसकी वापसी ने गाँव को हमेशा के लिए बदल दिया।
सीमा की मौत – एक अधूरी कहानी
सीमा गाँव की सबसे खुशमिजाज लड़कियों में से थी। चौड़ी मुस्कान, तेज़ चेहरे और जीवन से भरी हुई। कोई सोच भी नहीं सकता था कि इतनी ज़िंदादिल लड़की एक ही रात में सबको अलविदा कह देगी।
उस रात तेज़ आँधी थी। बारिश की धाराओं पर हथौड़ों की तरह गिर रही थी। सीमा की लाश सुबह गाँव के बाहर पुराने बरगद के पास मिली। चेहरा पीला पड़ा हुआ, चेहरा खुला, जैसे आख़िरी पल में उसने कुछ भयानक देखा हो।
गाँव के लोगों ने इसे दुर्घटना बताई, पर उसकी माँ को भरोसा नहीं था। वह बार-बार कहती—“सीमा ऐसी नहीं जा सकती।”
लेकिन सच चाहे जो भी हो… सीमा अब नहीं रही।
चौथी रात—पहली दस्तक
सीमा की तेरहवीं के बाद सब सामान्य लगता था, पर चौथी ही रात उसकी माँ, गौरी, को कुछ अजीब सा लगा। रात के करीब 1 बजे दरवाज़े पर सुबह-सी दस्तक हुई।
ठक… ठक… ठक…
गौरी को लगा कोई मदद मांगने आया होगा। उसने दरवाज़ा खोला—पर सामने कोई नहीं था। बस ठंडी हवा का झोंका और दूर से बरगद के पत्ते की सरसराहट।
उस पल उसे लगा जैसे किसी ने उसके पीछे से धीमी आवाज़ में कहा—
“माँ…”
गौरी का दिल धक से रह गया। वह मुड़ी, पर वहाँ भी कोई नहीं था। उसे लगा वह कल्पना कर रही है। वह दरवाज़ा बंद कर वापस सो गई, पर नींद आँखों से कोसों दूर थी।
गाँव में डर खिंचता है
अगले कुछ दिनों में अजीब कल्पनाएँ होने लगती हैं। रात के समय किसी के घूमने की आवाज़ सुनाती है। कुत्ते बिना वजह भौंकते। और लोग कहते हैं कि देर रात बरगद के पास एक लड़की की परछाई घूमती है।
सबसे पहले घटना राजू के साथ हुई—गाँव का चरवाहा। वह रात में घर लौट रहा था, तभी उसने देखा कि बरगद के नीचे एक लड़की बैठी है। उसके बाल भीगे थे, कपड़े मिट्टी से सने हुए।
रुज ने गुस्से से पूछा—“कौन हो तुम?”
लड़की ने धीरे से सिर उठाया। उसके चेहरे लाल थे। होंठ सूखे हुए।
वह बोली—
“मैं घर जाना चाहती हूँ…”
अगली सुबह जब राजू को होश आया, वह अपने घर में था, पर उसका चेहरा सफेद पड़ चुका था। उसने बस एक बात कही—
“सीमा… लौट आई है…”
गाँव वालों में अफरा-तफरी मच गई।
सीमा की बहन—सोनू की सच्चाई
सीमा की छोटी बहन सोनू रात को कई बार महसूस करती है कि कोई उसके कमरे में खड़ा है। कभी उसे ठंडी सांस महसूस होती, कभी सहारे अपने-आप खुल जाती। शुरुआत में उसने माँ से कुछ नहीं कहा, पर एक रात वह डर के मारे चीख पड़ी।
वह बोली—
“माँ, वो सीमा दीदी मेरे कमरे में आती है! उसने आज मेरा हाथ पकड़ा था!”
गौरी घबरा गई। उसने भगवान से प्रार्थना की, पर हालात बद से बुरे होने लगे।
आश्रम के बाबा—एक अनजाना इशारा
गाँव वालों ने आखिरकार पास के आश्रम के बाबा त्रिलोचन को बुलाया। बाबा ने घर में प्रवेश करते ही कहा—
“यहाँ कोई आत्मा बंद नहीं है… बल्कि लौटने की कोशिश कर रही है। और वह जब तक अपनी बात नहीं कहेगी, शांति नहीं मिलेगी।”
गौरी की आँखों से आँसू बहने लगे। उसने पूछा—“पर वो क्या चाहती है?”
बाबा ने आँखें बंद कीं और आस-पास के स्वर में बोले—
“उसकी मौत दुर्घटना नहीं थी। वह कुछ कहना चाहती है।”
सबके दिल में सिहरन दौड़ गई।
मौत का सच—जो अब सामने था
बाबा के कहने पर कुछ लोगों ने पुराने बरगद वाला इलाका खंगाला। वहां उन्हें सीमा की चप्पलें, टूटी चूड़ियां और पास ही पड़े दो गहरे पैरों के निशान मिले—जो किसी आदमी के थे।
धीरे-धीरे मामला खुला। गाँव के ही धीरज नाम के आदमी ने, जो सीमा को परेशान करता था, उस रात उसे बरगद के पास अकेला ढूंढने वाले बदतमीजी करने की कोशिश की। सीमा ने विरोध किया तो उसने उसे धक्का दे दिया। वह सिर के बल गिरी और वहीं उसकी मौत हो गई। धीरज ने डर के मारे उसे छोड़ दिया और चुपके से भाग गया।
और उसी रात से सीमा की आत्मा न्याय की तलाश में भटक रही थी।
सीमा की वापसी—आखिरी रात
जब धीरज का सच सामने आया, वह गाँव छोड़कर भागना चाहता था। पर आधी रात को उसने देखा कि उसके घर के बाहर कोई खड़ा है।
लंबे बाल, गीले कपड़े, और आँखों में खून जैसा लाल रंग।
सीमा उसके सामने खड़ी थी।
धैर्य डर से ज़मीन पर गिर पड़ा। उसने कहा—
“मेरा इरादा नहीं था… मुझसे गलती हो गई…”
सीमा ने धीरे से कहा—
“गलती? मैंने माँ से वादा किया था… मैं लौटूंगी।”
उसकी आवाज़ में गहरा दर्द था। अगले दिन धीरज बरगद के पास बेहोश मिला। उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उसी शाम से गाँव के आसपास अजीब घटनाएँ बंद हो गईं।
एक शांत विदाई
बाबा त्रिलोचन ने पूरी विधि से सीमा की आत्मा को शांति पहुँचाई। गौरी ने आख़िरी बार बरगद के पास दिया जलाया और कहा—
“बेटी, अब चैन से सोना।”
कहानी के पात्रों की तालिका
| पात्र का नाम | भूमिका | कहानी में महत्व |
|---|---|---|
| सीमा | मुख्य चरित्र (आत्मा) | अपनी मौत का सच उजागर करने और न्याय दिलाने के लिए लौटती है। |
| गौरी | सीमा की माँ | बेटी की वापसी को सबसे पहले महसूस करती है, उसकी भावनात्मक शक्ति कहानी को आगे बढ़ाती है। |
| सौंपी | सीमा की छोटी बहन | आत्मा के संकेत सबसे ज़्यादा मिलते हैं, जिससे अजीब घटनाओं का सच सामने आता है। |
| राजू | गाँव का चरवाहा | पहली बार सीमा की परछाई देखता है और लोगों को चेतावनी देता है। |
| धीरज | खलनायक | सीमा की मौत का असली जिम्मेदार; उसकी करतूत कहानी का केंद्र है। |
| बाबा त्रिलोचन | आध्यात्मिक गुरु | वह पता लगाते हैं कि आत्मा क्यों लौटी है, और अंत में सीमा को शांति दिलाते हैं। |