हॉरर स्टोरी: “दरवाज़े पर आधी रात की खटखट”

असीम के गाँव में हमेशा से एक अजीब-सी खामोशी रहती थी। दिन में गाँव साधारण लगता, लेकिन रात होते ही माहौल बदल जाता—ठंडी हवा, सूने रास्ते और दूर कहीं से आती अनजानी आवाज़ें। असीम पढ़ाई के लिए शहर गया था, लेकिन गर्मियों की छुट्टियों में वह अपने पुराने घर वापस आया था। गाँव में उसकी दादी अकेली रहती थीं।
उस रात आसमान में बादल भारी थे और तेज़ हवाएँ बह रही थीं। बिजली कभी-कभी चमकती, जिससे पुराने घर जबकि रोशनी में डरावना चमक उठती। दादी सो चुकी थीं, और असीम अपने कमरे में बैठा किताब पढ़ रहा था। घड़ी ने बारह होम ही थे कि अचानक—
ठक… ठक… ठक…
दरवाज़े पर किसी ने ज़ोर से दस्तक दी।
असीम ने चौंककर सिर उठाया। गाँव में इस समय बाहर किसी का होना लगभग नामुमकिन था। उसने सोचा शायद कोई राहगीर मदद के लिए आया हो, या किसी पड़ोसी को दादी की ज़रूरत हो। लेकिन फिर भी दिल में एक अजीब-सी घबराहट थी।
“कौन है?”—असीम ने ऊँची आवाज़ में पूछा।
कोई जवाब नहीं आया।
फिर से—
ठक… ठक… ठक…
इस बार दस्तक और भारी, जैसे कोई बड़ी ताकत वाला व्यक्ति दरवाज़े को धकेल रहा हो।
असीम दरवाज़े की ओर बढ़ा, लेकिन उसकी चाल धीमी थी—मानो पाँव खुद नहीं उठ रहे हों। कमरे का अंधेरा और बाहर की दस्तक, दोनों मिलकर माहौल और भी भयानक बना रहे थे।
वह दरवाज़े पर लाया, लेकिन खोलने के बजाय झिरी से बाहर झाँकने लगा।
बाहर सिर्फ़ काला अंधेरा। किसी इंसान की परछाई भी नहीं।
उसका दिल तेज़ हो गया। इतने ऊँचे अंधेरे में कोई दिख ही नहीं रहा था, जबकि आवाज़ दरवाज़े के बहुत पास से आई थी।
कुछ सेकंड बीत गए…
असीम वापस कमरे में जाने ही वाला था कि अचानक—
दरवाज़े के ठीक पीछे से भारी साँसों की आवाज़ आई।
लग रहा था कोई दरवाज़े से लुक हुआ साँस ले रहा हो।
असीम का शरीर सुन्न पड़ गया।
उसने तुरंत दादी के कमरे की ओर दौड़ लगाई। दादी जाग गईं थीं, उनके चेहरे पर चिंता साफ दिख रही थी।
“ये आवाज़… फिर से आ रही है?” दादी ने धीमी आवाज़ में पूछा।
“आपको कैसे पता?”—असीम ने डरकर पूछा।
दादी ने गहरी सांस ली।
“ये पहली बार नहीं है। पिछले तीन महीनों से हर पूर्णिमा की रात कोई दरवाज़ा खटखटाता है। लेकिन जब बाहर देखते हैं तो कोई नहीं मिलता।”
“फिर आपने मुझे पहले क्यों नहीं बताया?”—असीम की आवाज़ काँप रही थी।
“तुम्हें डराना नहीं चाहती थी… लेकिन आज—”
दादी की बात पूरी ही नहीं हुई थी कि फिर से—
ठक… ठक… ठक…
अबकी बार पूरी जोर से!
असीम ने दादी का हाथ पकड़ा।
“ये इंसान नहीं हो सकता…”
दादी पिछले दिनों की मौतों के बारे में बताने नाइजीरिया—
कुछ महीने पहले गाँव के ही एक बुजुर्ग की मौत रहस्यमय तरीके से हुई थी। कहा जाता है कि उन्होंने किसी अनजान चीज़ को दरवाज़ा खोल दिया था। उसके बाद से रात में खटखटाहट शुरू हो गई।
“कभी भी आधी रात को दरवाज़ा मत खोलना,” दादी ने चेतावनी दी।
लेकिन इस बार आवाज़ बंद होने का नाम ही नहीं ले रही थी। ज्यों-ज्यों घड़ी आगे बढ़ रही थी, दस्तक और तेज़ी से होती जा रही थी।
ठक-ठक-ठक-ठक-ठक!
असीम ने हिम्मत जुटाई और बाहर देखने का फैसला किया। उसने खिड़की खोली, लेकिन बाहर सिर्फ काली हवा और ठहरने की सरसराहट थी। अचानक एक परछाईं तेज़ी से दाईं ओर भागी।
“दादी, कोई है…”
दादी ने असीम का हाथ बढ़ाकर खिड़की बंद कर दी।
“उसे संपर्क की कोशिश मत करो। वो इंसान नहीं है।”
असीम ने महसूस किया कि खटखटाहट अब घर के दराज से आने लगी है, फिर अचानक छत से, फिर ढलान से—मानो कई लोग एक साथ घर को घेरकर दस्तक दे रहे हों।
घर के हर कोने से आवाज़ें आने लगती हैं—
ठक… ठक… ठक…
धड़ाम!
सर्ररर…
असीम और दादी घर के बीचोंबीच खड़े थे, हर तरफ से अजीब आवाज़ें आ रही थीं। डर का आलम ऐसा था कि दोनों की साँसें टूट रही थीं।
इस अराजकता के बीच दादी ने कुछ मंत्र बोलना शुरू किया—पुराने समय का एक सुरक्षा स्तोत्र।
जैसे ही दादी ने अंतिम पंक्ति बोली, अचानक सारी आवाज़ें बंद हो गईं।
पूरा घर दोबारा खामोश।
असीम ने राहत की सांस ली—लेकिन तब—
फर्श पर लम्बी प्रतिक्रियाएं उभरने लगती हैं, जैसे कोई अदृश्य चीज़ तेज़ी से झुर्रियों से घर की ज़मीन पर रँग रही हो।
धीरे-धीरे वे प्रतिक्रियाएं एक शब्द का रूप लेने वाली प्रतिक्रियाएं—
“दरवाज़ा खोलो।”
असीम की रीढ़ में ठंडा पानी उतर गया।
दादी ने उसे पीछे किया और बोलीं—
“ये उसी आत्मा का काम है… उसे घर में आने दो, तो हम बच नहीं पाएँगे।”
असीम ने काँपते हाथों से दीवार पर टंगी लालटेन उठाई और कमरे में रोशनी फैलाई। जैसे ही रोशनी फैली, उत्प्रेरकें रुक गईं। घर में फिर से सन्नाटा फैल गया।
कुछ देर बाद सुबह की पहली किरण घर में दाखिल हुई।
खटखटाहट, आवाज़ें, परछाईं—सब गायब थी।
दादी ने गहरी साँस ली और बोलीं—
“ये रात तो कट गई… लेकिन खटखटाहट फिर आएगी। जब तक उसकी सच्चाई पता नहीं चलती, हमें सावधान रहना होगा।”
असीम समझ गया…
यह सिर्फ एक रात की डरावनी घटना नहीं थी—
यह एक चेतावनी थी।
कुछ ऐसा, जो अभी खत्म नहीं हुआ था।
और अगली रात क्या होने वाला है—
कोई नहीं जानता।
पात्रों की तालिका
किरदार का नाम भूमिका कहानी में महत्व
असीम मुख्य पात्र रहस्यमय खटखटाहट को सबसे पहले महसूस करता है, घटना की सच्चाई जानने के लिए तत्पर रहता है।
दादी सहायक पात्र गाँव की पुरानी घटनाओं को डालती हैं, आत्मरक्षा मंत्र से घर की रक्षा करती हैं।
अदृश्य परछाईं / आत्मा विरोधी तत्व हर पूर्णिमा की रात दरवाज़े पर खटखटाती है, घर में प्रवेश करना चाहती है, डर और रहस्य का स्रोत।
गाँव का बुजुर्ग (जिक्र मात्र) पृष्ठभूमि पात्र उसकी रहस्यमय मौत से खटखटाहट की शुरुआत हुई; कहानी की पृष्ठभूमि का हिस्सा।