अँधेरे मकान का आख़िरी कमरा – एक डरावनी कहानी

पुराने शहर के किनारे एक नाकाम, अँधेरा-सा मकान खड़ा था। लोग उसे दूर से देखते, लेकिन पास जाने की हिम्मत किसी में नहीं होती। कहते थे कि मकान का आख़िरी कमरा किसी रहस्य से भरा है— ऐसा रहस्य जिसका जवाब किसी को नहीं मिला।
कई सालों से मकान खाली पड़ा था। दीवारों पर काई जमी थी, खिड़कियाँ टूटी थीं और अंदर का सन्नाटा इतना भारी था कि कोई पास से गुज़र भी जाए तो कदम अपने-आप आस-पास हो जाते।
इस शहर में रहती थी अनाया, एक कॉलेज स्टूडेंट जिसे रहस्यमयी जगह और इतिहास की कहानियों में बहुत कुछ था। एक दिन उसके कॉलेज में “पुरानी इमारतों की पड़ताल” पर प्रोजेक्ट दिया गया, और अनाया ने उसी समय तय कर लिया कि वह शहर के सबसे डरावने मकान—काली हवेली—पर खोजेगी।
उस दादी ने चेतावनी दी, “उस मकान में मत जाना, बेटी। लोग कहते हैं वहाँ किसी का साया आज भी भटकता है।”
लेकिन अनया ने मुस्कराते हुए कहा, “दादी, मैं बस जानकारी इकट्ठा करूँगी। कोई खतरा नहीं है।”
पहली रात – मकान में कदम
अगले दिन अनया अपने दो दोस्तों—राहुल और मीरा—के साथ काली हवेली पहुँची। सूरज ढल चुका था और शाम की दोपहर-सी लाल रोशनी दीवारों पर डर-सा साया बना रही थी।
जैसे ही वे अंदर कदम रखा, सड़ी हुई लकड़ी की बदबू हवा में बिछाने लगी। फर्श पर पेड और धूल की मोटी परत जमी थी। हर कदम पर चरमराहट होती।
राहुल ने टॉर्च जलाते हुए कहा, “दो मिनट का काम है, जल्दी देखते हैं और चलते हैं।”
पर अंदर आते ही अनया की नजर दीवारों पर बने पुराने चित्रों पर पड़ी। चित्रों में एक ही औरत बार-बार दिख रही थी—कभी एक कमरे में खड़ी, कभी खुली खिड़की के पास, कभी रोती हुई। उसकी सिकुड़ देखकर लगता था जैसे वह किसी से मदद माँग रही हो।
मीरा ने धीरे से कहा, “ये औरत कौन होगी?”
अनया ने जवाब दिया, “मुझे लगता है, यही इस मकान की कहानी की कुंजी है।”
रात गहरीती है—और आवाज़ें शुरू
जैसे-जैसे वे अंदर बढ़े गए, मकान का सन्नाटा और गहरा होता गया। अचानक ऊपर के किसी कमरे में से खटाखट की धीमी आवाज़ आई। मीरा डर गई, “ये… ये हवा होगी, है ना?”
पर आवाज़ हवा जैसी नहीं थी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई लकड़ी का दरवाज़ा धीरे-धीरे पी रहा हो।
तीनों ने आमदनी में देखा—क्या ऊपर जाना चाहिए?
लेकिन जिज्ञासा डर से बड़ी होती है। वे सीढ़ियाँ मिलें लगे। पदाधिकारियों पर धूल इतनी थी कि उनके पैरों के निशान साफ दिख।
ऊपर पहुँचकर उन्होंने लंबा-सा गलियारा देखा, जिसके अंत में एक बंद दरवाज़ा था। दरवाज़ा बाकी कमरों से अलग था—काला, भारी और उस पर ताला भी जंग लगा हुआ।
अनया ने धीरे से कहा, “यही आख़िरी कमरा होगा…”
आख़िरी कमरे का रहस्य
जैसे ही अनया उस दरवाज़े के पास पहुँची, अचानक ठंडी हवा चलने लगी। ऐसा लगा जैसे कमरे के अंदर कोई साँस ले रहा हो।
राहुल बोला, “अनया, मुझे अच्छा नहीं लग रहा। चलो वापस चलते हैं।”
लेकिन अनया ने फ़ीलों पर हाथ रखा—और ताला खुद-ब-खुद खुल गया।
तभी कमरे के अंदर से धीमी-सी आवाज़ आई—जैसे कोई फुसफुसाकर कह रहा हो, “बचाओ…”
तीनों घबरा गए, फिर भी अनया ने दरवाज़ा धक्का देकर खोल दिया।
कमरा बहुत अँधेरा था। दीवारों पर छायाएँ हिलती हुई लग रही थीं। कमरे के बीच में एक पुरानी लकड़ी की कुर्सी थी, और उसके पास ज़मीन पर एक डायरी पड़ी थी।
अनया ने डायरी उठाई और पढ़ना शुरू किया। उसमें वही औरत के बारे में लिखा था जिसके चित्र दीवार पर लगे थे।
डायरी में लिखा था—
“मेरा नाम वैदेही है। मैं इस हवेली में अकेला रहता हूँ। कोई मुझे समझ नहीं पाया। एक रात किसी ने मेरे आख़िरी कमरे का दरवाज़ा बाहर से बंद कर दिया। मैं कई दिनों तक मदद के लिए पुकारती रही… लेकिन किसी ने नहीं सुना। मेरा शरीर तो चला गया, पर मेरा दर्द यही रह गया।”
डायरी का आख़िरी पन्ना खून के धब्बों से भरा था। मीरा रो पड़ी, “ये औरत… मर गई थी? दब बंद होकर?”
अचानक कमरे का दरवाज़ा ज़ोर से बंद हो गया। टॉर्च बंद हो गई। चारों ओर घना अँधेरा।
फिर एक ठंडी, काँपती हुई आवाज़ सुनाई दी—
“किसी ने मेरी बात नहीं सुनी… क्या तुम सुनोगे?”
उनके सामने धुंध-सी आकृति बनने लगी—वही औरत, वही चेहरा, वही दर्दभरी चेहरा। उसके चेहरे अनाया पर टिकी थीं।
अनाया काँपते हुए बोली, “हम… हम आपकी मदद करना चाहते हैं। बताइए, आप क्या चाहती हैं?”
वैदेही की आत्मा के चेहरे पर दर्द उभर आया। उसने हाथ बढ़ाकर डायरी की ओर इशारा किया।
अनया समझ गई और बोली, “आपकी कहानी दुनिया तक पहुँचेगी… कोई आपको भूलेगा नहीं। हम आपका सच सामने लाएंगे।”
तब अचानक कमरे की हवा हल्की हो गई। वैदेही की आकृति धीरे-धीरे फीकी पड़ने लगी और उसकी आँखें चमक ज्यं—जैसे कई सालों का बोझ उतर गया हो।
कमरे में फिर से सन्नाटा छा गया।
और दरवाज़ा अपने-आप खुल गया।
एक नई सुबह
अगले दिन अख़बार में एक खबर छपी—
“काली हवेली का रहस्य उजागर – वैदेही की मौत एक हादसा नहीं, बल्कि घर वालों की क्रूरता थी।”
शहर के लोग सदमे में थे। कई सालों से जो कहानी अंधेरे में दबी हुई थी, अब सामने आ चुकी थी।
अनया, राहुल और मीरा ने उस आख़िरी कमरे के बारे में पूरा सच दुनिया को बताया।
और तब से काली हवेली में होने वाली अजीब यादें धीरे-धीरे बंद हो गईं।
लोगों का मानना था कि वैदेही की आत्मा आखिरकार मुक्त हो चुकी है।
लेकिन आज भी, जब कोई उस हवेली के पास से गुज़रता है, तो हवा में एक धीमी-सी आवाज़ सुनाई देती है—
“धन्यवाद…”
कहानी के पात्रों की तालिका
| पात्र का नाम | कहानी में भूमिका | विशेषता / उद्देश्य |
|---|---|---|
| अनाया | मुख्य पात्र | जिज्ञासु, बहादुर, पुरानी हवेली का रहस्य सुलझाती है |
| राहुल | अनया का दोस्त | व्यावहारिक सोच वाला, लेकिन डरपोक; अनया की मदद करता है |
| मीरा | अनया की सहेली | संवेदनशील स्वभाव; कहानी में भावनात्मक पक्ष उभरता है |
| वैदेही | हवेली की आत्मा / पीड़ित | महिला अपनी मौत का सच दुनिया तक पहुँचाना चाहती है |
| दादी | अनया की सलाहकार | पुराने किससे बताकर चेतावनी देती हैं |