अंधेरे में छिपी परछाइयाँ – थ्रिलर कहानी

रात का समय था। दूर तक फैला जंगल पाने की तरह काला दिखाई दे रहा था। हवा में एक अजीब ठंडक थी, जैसे किसी ने अचानक आसपास की गर्मी चुरा ली हो। चांद बादलों के पीछे छिपा हुआ था, और उस आधे-अधूरे उजाले में पुराना “वीरांगढ़ हवेली” किसी सोए हुए दैत्य की तरह खड़ी थी।
आरव, जो शहर का एक युवा पत्रकार था, उसी हवेली के सामने खड़ा था। वह एक खास रिपोर्ट के लिए यहाँ आया था। पिछले एक महीने से इस हवेली के आसपास अजीब खबरें हो रही थीं—रात में चीखें, अचानक बुझती रोशनी, और लोगों का गायब होना। गाँव वालों ने साफ चेतावनी दी थी—“वहाँ मत जाओ, हवेली में परछाइयाँ ज़िंदा हैं।”
लेकिन आरव जिज्ञासु था। उसे हमेशा सच जानने की चाहत रहती थी। डर उसकी कमजोरी नहीं था, बल्कि सवालों के जवाब ढँकना उसका जुनून था।
हवेली की दहलीज़
हवेली का मुख्य दरवाज़ा धकेलते ही एक खड़ी चरमराहट गूँजी। अंदर घुप्प अंधेरा था। आरव ने अपनी टॉर्च जलाई। रोशनी आगे बढ़ती, लेकिन हवा की हर सरसराहट पर उसे ऐसा लगता जैसे कोई पास ही खड़ा हो।
जैसे ही वह अंदर कदम बढ़ाता गया, दीवारों पर बने पुराने चित्र नज़र आने लगे—भारी कपड़ों में खड़ी एक-से चेहरा, उसे आकृति अँधेरे में और भी ज़्यादा डरावनी लग रही थीं। लगता था कि वे उसकी हर हरकत पर नज़र रख रहे हों।
अचानक उसे पीछे किसी के चलने की आहट सुनाई दी। वह घूमकर देखने वाला ही वाला था कि सामने की दीवार पर एक काली आकृति भागती दिखाई दी। टॉर्च की रोशनी उसके पीछे दौड़ी, मगर वो पलक झपकते ही गायब हो गई।
आरव ने गहरी साँस ली—“शायद मेरी नज़र का वहम होगा।”
एक अनजान लड़की का आगमन
पहली मंज़िल की पदाधिकारियों पर कदम रखता ही उसे धीमी सी फुसफुसाहट सुनाई दी—
“यहाँ से वापस चले जाओ…”
आरव रुक गया। आवाज़ साफ़ थी, लेकिन आस-पास कोई नहीं।
उसकी टॉर्च की रोशनी थोड़ी आगे बढ़ेगी तो एक लड़की दिखाई दी—सफेद कपड़ों में, चेहरे पर रोशनी सा डर, लेकिन आँखों में अजीब सन्नाटा।
“तुम कौन हो?” आरव ने पूछा।
लड़की धीरे से बोली, “मेरा नाम सिया है। तुम यहाँ अकेले नहीं हो। इस हवेली में ऐसे राज़ छिपे हैं जिन्हें छूना भी खतरनाक है।”
आरव हैरान था। “क्या तुम यहाँ रहती हो?”
सिया ने सिर हिलाया—“नहीं… मैं यहाँ फँसी हूँ।”
“फँसी? मतलब?” आरव ने पूछा, लेकिन सिया इच्छुक की ओर इशारा करके बोली—
“अगर सच जानना है तो मेरे साथ चलो।”
हवेली का तहखाना
दोनों एक भारी लकड़ी के दरवाज़े के सामने पहुँचे। सिया ने धीरे से उसे खोला। अंदर सीलन भरी हवा और धूल का घना बादल था। नीचे जाने वाली सीढ़ियाँ एक लम्बे, अंधेरा तहखाना की ओर जाती थीं।
तहखाना में कदम रखते ही आरव को दीवारों पर खुदाई जैसे निशान दिखे, जैसे किसी ने बाहर निकलने की कोशिश की हो।
सिया धीरे से बोली—
“इस हवेली में कभी बहुत अमीर परिवार रहता था—ठाकुर रघुवीर सिंह का परिवार। कहते हैं कि वे काले जादू और रहस्यमयी घोड़ों में शामिल थे। एक रात उनके पूरे परिवार के साथ कुछ ऐसा हुआ कि कोई बचा ही नहीं। लेकिन…”
आरव ने पूछा—“लेकिन क्या?”
सिया ने काँपती आवाज़ में कहा—
“उनकी आत्माएँ शांत नहीं हुईं। वे परछाइयों में बदल गईं। और अब वो परछाइयाँ हवेली में भटकती हैं… लोगों को अपने जैसा बनाने के लिए।”
आरव ने देखा कि तहखाना के बीच में एक लोहे का बड़ा-सा पिंजरा रखा था, जैसे किसी को कैद करने के लिए बनाया गया हो। भूमिगत के चारों ओर काले धब्बे थे, जैसे किसी जलने के निशान।
अचानक हवेली से एक तेज़ आवाज़ आई, मानो किसी ने दीवार पर ज़ोर से कुछ पटका हो।
सिया ने डरकर आरव का हाथ पकड़ लिया—
“वे जाग गए हैं… हमें अभी निकलना होगा!”
परछाइयों का हमला
दोनों भागते हुए पदाधिकारियों की तरफ बढ़ रहे थे। लेकिन जैसे ही वे ऊपर पहुँचे, सामने हवा में झिलमिलाती काली परछाइयाँ खड़ी थीं। उनका आकार मनुष्य जैसा था, लेकिन वे धुएँ की तरह हिलती-डुलती थीं।
एक परछाई ने सिया की तरफ हाथ बढ़ाया। लड़की चीखी
“नहीं!”
आरव ने तुरंत टॉर्च की रोशनी उसकी तरफ फेंकी। रोशनी पढ़ी ही परछाई पीछे हट गई, मानो आग से बच रही हो।
सिया ने जल्दी से कहा—
“टॉर्च की रोशनी… यही उनका डर है!”
अब परछाइयाँ चारों ओर से आने पहुँचती। आरव टॉर्च घुमाते हुए भागा, लेकिन जैसे-जैसे वे भाग रहे थे, परछाइयाँ और भी घुटने होती जा रही थीं।
सीढ़ी पर पहुँचते ही एक परछाई ने आरव का पैर पकड़ लिया। अचानक उसके शरीर में ठंड दौड़ गई, जैसे खून जम रहा हो। वह गिरता-गिरता बचा। सिया ने उसके हाथ मज़बूत हुए कहा—
“हिम्मत मत हारो!”
सच का खुलासा
दोनों हवेली के मुख्य हाल में पहुँचे। वहाँ दीवार पर एक बड़ा, पुराना आईना टँगा हुआ था। आईने के सामने पहुँचते ही परछाइयाँ रुक गईं, जैसे किसी अदृश्य सीमा ने उन्हें रोक दिया हो।
सिया ने धीरे से कहा—
“यह आईना ही उनकी कैद की आखिरी चाबी है। ठाकुर ने अपने परिवार की आत्माओं को इसी आईने में बाँधने की कोशिश की थी… लेकिन वह खुद भी फँस गया। इस आईने को टूटेगा।”
आरव ने पास पड़ा एक लोहे की छड़ ते। परछाइयाँ गुस्से में चिल्लाने गाड़ियों। हवा ठंडी होने लगी, मिल हिलने गाड़ियों।
आरव ने पूरी ताकत से छड़ ते और आईने पर दे मारी।
आईना चटक कर बिखर गया।
अचानक एक तेज़ चीख गूँजी। हवेली की सारी परछाइयाँ धुएँ की तरह हवा में घुलने गाड़ियों। जैसे कोई अदृश्य दरवाज़ा खुला हो और उन्हें अपनी ओर खींच रहा हो।
कथा की तालिका
| पात्र का नाम | कहानी में भूमिका | विवरण |
|---|---|---|
| आरव | मुख्य नायक एक पत्रकार | जो हवेली के रहस्य की सच्चाई पता लगाने आता है। साहसी, जिज्ञासु और बहादुर। |
| सिया | रहस्यमय लड़की | हवेली में फँसी आत्मा, जो आरव की मदद करती है और परछाइयों के रहस्य को उजागर करती है। |
| परछाइयाँ | विरोधी शक्ति ठाकुर | रघुवीर सिंह और उनके परिवार की बेचैन आत्माएँ, जो हवेली में भटकती हैं। |
| ठाकुर रघुवीर सिंह | (उल्लेख) पृष्ठभूमि पात्र | हवेली का मालिक जिसने काले जादू के कारण अपने परिवार को परछाइयों में बदल दिया। |