रहस्यमयी घर से भागते हुए—एक कपाल की रोमांचक कहानी

रात के लगभग बारह बज रहे थे। घना कोहरा सड़क पर ऐसे पसरा था जैसे किसी ने सफेद चादर ओढ़ा दी हो। सना और आरव कार से पहाड़ी रास्ते पर आगे बढ़ रहे थे। वे दोनों बैंगलोर से मनाली की तरफ छुट्टियाँ मनाने निकले थे। रास्ता लंबा था, लेकिन मौसम और रोमांच का शौक उन्हें अंधेरी रात में भी चला रहा था।
“लगता है हम गलत रास्ते पर आ गए हैं,” सना ने कार की खिड़की से बाहर हुंकारते हुए कहा।
आरव ने गूगल मैप देखा—नेटवर्क खत्म।
“कोई बात नहीं, थोड़ी देर आगे जाते हैं, शायद नेटवर्क मिल जाए,” आरव ने कहा।
कार धीरे-धीरे आगे बढ़ती है। अचानक सामने एक पुराना, टूटा हुआ बोर्ड दिखाई दिया—
“कालीघाट घाटी – 2 किमी”
आरव थोड़ा बढ़करया, लेकिन वापस लौटने का रास्ता भी कोहरे से ढका था।
“चलो, थोड़ा आगे देखते हैं,” उसने कहा।
रहस्यमयी हवेली का पहला दर्शन
कुछ मिनट बाद कार एक बड़े, नाकामयाब से घर के सामने रुक गई। हवेली काले पत्थरों से बनी हुई थी, दरवाज़े लकड़ी के थे, जिन पर अजीब-सी बनी थी। ऐसा लगता था जैसे कोई सदियों से यहां रहता ही नहीं।
“शायद यहां किसी से रास्ता पूछ लें,” सना ने धीरे से कहा, पर उसकी आवाज़ में डर साफ झलक रहा था।
आरव ने दरवाज़े पर दस्तक दी। कुछ पल तक सन्नाटा रहा। फिर दरवाज़ा चर्र—चर्र की आवाज़ के साथ खुद-ब-खुद खुल गया।
दोनों अंदर गए। हाथों में मोबाइल की टॉर्च ही उनका सहारा थी।
हॉल बहुत बड़ा था। दीवारों पर पुराने, फटे हुए चित्र टंगे थे। उनमें से एक में एक जोड़ा दिख रहा था, जो बिल्कुल सना और आरव जैसा लग रहा था। दोनों कुछ डेस्क तक उस तस्वीर को घूरते रह गए।
“अजीब है… ये तो बिल्कुल हमारी तरह लग रहे हैं,” सना ने घबराए स्वर में कहा।
आरव कुछ बोल पाता कि तभी पीछे से दरवाज़ा अपने-आप बंद हो गया।
धड़ाम!
सना चीखने ही वाली थी कि आरव ने उसका हाथ पकड़कर पकड़ लिया।
“हम यहां से निकल जाएंगे। घबराओ मत।”
घर की जांच शुरू
दोनों ने चारों तरफ देखने की कोशिश की। घर का हर कमरा अजीब-सी ठंड से भरा था, जैसे किसी ने सब कुछ जमा दिया हो।
एक कमरे में पुरानी किताबें बिखरी थीं। एक किताब खुली हुई थी, और उस पर लिखा था:
“जो यहां घुसता है, वह अपना अतीत देखे बिना नहीं निकल सकता।”
आरव ने किताब उठाई। तभी कमरे का दरवाज़ा बंद हो गया। हवा तेजी से चलने लगी। दीवारों पर लगी तस्वीरें हिलने लगीं।
“आरव, हमें यहां से निकल ही होगा,” सना ने लगभग रोते हुए कहा।
आरव ने दरवाज़ा खोलने की कोशिश की, लेकिन वह जाम था।
अचानक किताब के पन्ने अपने-आप पलटने लगे। आख़िरी पन्ने पर एक नक्शा बना था—हवेली का नक्शा।
और उस पर लाल गोले से एक रास्ता चिन्हित था—“गुप्त सुरंग”
आरव को तभी समझ आया कि यह घर रहस्यमयी ज़रूर है, लेकिन शायद यहाँ से निकलने का रास्ता भी खुद यह हवेली ही बता रही है।
गुप्त सुरंग की तलाश
दोनों नक्शे के अनुसार हवेली के तिलिस्मी कमरों में हरकत कर रहे हैं। हर कमरे में कोई न कोई अजीबोगरीब घटनाएँ होती हैं। कहीं पियानो खुद बजने लगता, तो कहीं खिड़कियाँ अपने-आप खुल जातीं।
एक कमरे में अचानक किसी महिला की परछाईं दिखाई दी। वह सफेद कपड़ों में थी और उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था।
“यह जगह छोड़ दो…”
उसकी आवाज़ दूर से आती हवा जैसी थी।
सना ने डर के मारे आरव का हाथ पकड़कर पकड़ा।
परछाईं कुछ सेकंड में गायब हो गई।
आरव ने सना को संभालो—
“याद रखना, डर से बड़ा कोई ताला नहीं होता… और हिम्मत से बड़ी कोई चाबी नहीं।”
धीरे-धीरे वे दोनों नक्शे में दिखाए गए उस हिस्से तक पहुँचे जहाँ फ़िल पर अजीब-से प्रतीक बने थे। आरव ने फ़िल पर बने तीन गोलाकार निशान डाले—और फ़िल के बीच का हिस्सा नीचे की ओर खुल गया।
एक अंधेरी, संकरी सीढ़ियाँ दिख रही हैं बनती हैं।
सुरंग के अंदर का रहस्य
सुरंग नम, अंधेरी और बेहद शांत थी। टॉर्च की रोशनी में जालों से भरी मिली दिख रही थीं। हवा भारी लग रही थी, जैसे जगह ने सदियों से कोई साँस ही न ली हो।
चलते-चलते वे एक बड़े पहाड़ों तक पहुँचे। वहाँ दो रास्ते थे।
पहले रास्ते पर लिखा था—“सच का रास्ता”
दूसरे पर—“मुक्ति का रास्ता”
“अब कौन सा?” सना ने पूछा।
आरव ने सोचा—
“सच के रास्ते पर कुछ खतरनाक हो सकता है… लेकिन अगर हम सच नहीं जाएंगे तो शायद मुक्त भी नहीं होंगे।”
दोनों सच वाले रास्ते पर चल दिए।
कुछ कदम आगे बढ़ते ही दीवारों पर अजीब-अजीब चित्र उभरने लगे। उन चित्रों में वही जोड़ा दिखता था जो तस्वीर में था—और हर चित्र में कोई घटना उनके साथ होती दिखती—भागना, डरना, छुपना।
अचानक अंतिम चित्र प्रकट हुआ—जिनके पास वही हवेली दिखाई दी… और उस पर लिखा था:
“अगर तुमने एक-दूसरे को नहीं खोया, तो यह घर तुम्हें नहीं रख दक्षिण।”
सना और आरव दोनों एक झटके में एक-दूसरे की तरफ देखे।
तब जमीन हिलने लगी। सुरंग की दीवारों से पत्थर गिरने लगे।
“भागो!” आरव चिल्लाया।
दोनों दौड़ते हुए वापस वही दरवाज़ा घिर लगे जो मुक्ति के रास्ते की ओर जाता था।
आख़िरी भाग — आज़ादी की दौड़
जब दोनों मुक्ति के रास्ते में दाखिल हुए, तो वह रास्ता रोशनी से भरा था। लंबी दौड़ के बाद सामने एक पुरानी लकड़ी का दरवाज़ा दिखाई दिया
कहानी के पात्रों की तालिका
| पात्र का नाम | भूमिका | कहानी में उनका महत्व |
|---|---|---|
| सना | मुख्य महिला पात्र | संवेदनशील लेकिन हिम्मतवर; परिस्थितियों में जल्दी घबराती है, पर अंत में हिम्मत बिखेरती है। |
| आरव | मुख्य पुरुष पात्र | शांत दिमाग वाला, ऊत्तर; कठिन परिस्थितियों में सना को संभालता है और रास्ता खोजता है। |
| रहस्यमयी महिला (आत्मा) | चेतावनी देने वाला पात्र | हवेली का पुराना रहस्य उजागर करती है और संकेत देती है कि द्विपक्षीय को एकजुट रहना होगा। |
| पुराने हवेली मालिक (चित्रों में) | पृष्ठभूमि पात्र | हवेली के इतिहास का हिस्सा; कहानी के माहौल और रहस्य को गहराई देता है। |
| कालीघाट हवेली | स्थान/मुख्य सेटिंग | खुद एक “किरदार” की तरह काम करती है; रहस्य, डर और रोमांच का स्रोत। |