रहस्य कहानी: “अंजलि का आख़िरी रास्ता”

रहस्य कहानी: “अंजलि का आख़िरी रास्ता”

रहस्य कहानी

शहर के किनारे बसी शांत सी कॉलोनी में अंजलि, 17 साल की होनहार और जिज्ञासु लड़की, अपनी माँ सुनीता के साथ रहती थी। अंजलि को किताबें पढ़ना, घुमाना और नई जगह के बारे में जानना बेहद पसंद था। लेकिन उसकी ज़िंदगी अचानक एक ऐसे मोड़ पर पहुँच गई जिसे किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।

अचानक हुई गुमशुदगी

उस दिन शाम को भारी बारिश हो रही थी। हवा में अजीब-सी ठंडक थी।

अंजलि अपनी दोस्त की डॉक्यूमेंट्री बुक लौटाने पास वाले लाए गई थी, लेकिन वापस नहीं आई।

माँ सुनीता शुरू में सोच रही थीं कि शायद वह दोस्तों के साथ रुक गई होगी। पर रात के दस बजते-बजते उनकी बेचैनी बढ़ने लगी। फोन भी बंद आ रहा था। वह घबराकर पास के पुलिस स्टेशन पहुँचीं।

वहाँ इंस्पेक्टर अरमान सिंह ड्यूटी पर थे—सख़्त लेकिन समझदार। उन्होंने सारी बात ध्यान से सुनी और तुरंत खोजबीन का आदेश दिया।

पहला सुझाव

अगली सुबह पुलिस को अंजलि की बैग नदी किनारे पड़े पुरानी कारख़ाने के पास घास में फँसी मिली।

बैग में सिर्फ़ उसकी किताबें थीं, लेकिन मोबाइल गायब था।

पर अजीब बात यह थी कि बैग के पास मिट्टी में किसी बच्चे के छोटे पैर के निशान दिखाई दे रहे थे—जैसे कोई छोटा बच्चा रात में वहाँ था।

इंस्पेक्टर अरमान ने भौहें सिकोड़ लीं।

“रात के वक़्त बच्चा? इस जगह? कुछ तो बनता है…”

माँ सुनीता की सिकुड़ी नम थीं, लेकिन उन्हें उम्मीद भी थी कि शायद अंजलि कहीं पास ही छिपी होगी।

परछाइयों वाली हवेली

कारख़ाने के पास ही एक पुरानी, ​​टूटी-फूटी हवेली थी जिसे लोग ‘काली हवेली’ कहते थे।

कहा जाता था कि वहाँ कोई नहीं रहता, लेकिन कई बार रात को खिड़की में हल्की रोशनी दिखाई देती थी।

लोग डर से वहाँ जाते नहीं थे, लेकिन अरमान को शक था कि शायद अंजलि वहीं हो सकती है।

उन्होंने अपनी टीम लेकर हवेली की तरफ़ कदम बढ़ाया। – रहस्य कहानी

जैसे ही दरवाज़ा खोला, ठंडी हवा का झोंका उनके चेहरे पर लगा।

मकान अंधेरी थी, पर कोने में धूल जमी मेज पर ताज़ा पैर के निशान साफ़ दिख रहे थे।

“यहाँ हाल में कोई था,” एक सिपाही ने कहा।

अरमान ने टॉर्च आगे की ओर फेंकी…

अचानक उठाने के ऊपर किसी के दौड़ने की आवाज़ आई।

छिपा हुआ कमरा और रहस्य

सीढ़ियों पर चढ़ते ही वे एक छोटी अलमारी में पहुँचे। दरवाज़ा आधा खुला था।

अंदर टॉर्च की रोशनी फैलाते ही उन्होंने एक छोटी लड़की को देखा—करीब 8-9 साल की, डरी-सहमी।

उसके कपड़े गंदे थे, बाल उलझे हुए, और चेहरे पर उकसाने थे।

अरमान ने धीरे से पूछा, “तुम कौन हो? यहाँ कैसे आ गई?”

लड़की रोते हुए बोली,

“मैं मीरा हूँ… मुझे एक आदमी यहाँ लाकर बंद कर देता है। और… और उसने दीदी को भी कल दब लाया था।”

सब दिल की धड़कन रुक-सी गई।

“अंजलि कहाँ है?” सुनीता घबराकर बोलीं।

मीरा ने काँपते हुए हवा में उँगली की—

“वो नीचे वाले कमरे में है… वो उसे वापस ले जाने वाला था…”

समय और डर की दौड़

अरमान और टीम ने नीचे की तरफ दौड़ लगाई।

इंतज़ार के नीचे एक बड़ा कमरा था—लोहे का दरवाज़ा, जिस पर जंग लगी थी।

अंदर से सुबह-सी आवाज़ आ रही थी… जैसे कोई मदद के लिए पुकार रहा हो।

दरवाज़ा तोड़ना मुश्किल था, पर अरमान ने पूरा ज़ोर लगाकर उसे खोल दिया।

जैसे ही कमरा खुला, अंजलि गिरी-सी बाहर आई।

वह कमजोर थी, लेकिन होश में थी।

“माँ…” वह सुबकते हुए उनके गले लग गई।

सुनीता की आँखों से आँसू रुक नहीं रहे थे।

असली अपराधी का पर्दाफाश – रहस्य कहानी

अंजलि ने काँपती आवाज़ में बताया—

“मुझे एक आदमी ने रास्ते में रोक लिया था… कह रहा था कि वह मुझे घर छोड़ देगा। पर जैसे ही मैं उसकी बाइक पर बैठा, उसने मेरा फ़ोन फेंक दिया और मुझे यहाँ ले आया…”

अरमान ने पूछा, “कैसा दिखता था वो?”

इससे पहले कि अंजलि जवाब देती है, हवेली के बाहर से गोली की आवाज़ आई।

सिपाही चिल्लाए—

“साहब! कोई भाग रहा है!”

सब बाहर भागे तो देखा कि एक आदमी जंगल की तरफ दौड़ रहा था।

अरमान ने पीछा किया और कुछ ही दूर जाकर उसे पकड़ लिया।

वह आदमी था—रघु, हवेली का पुराना केयरटेकर।

पूछताछ में उसने कबूल किया कि वह छोटे बच्चों को हवेली में बंद करके बाहर से पैसे कमाता था। लेकिन अंजलि को उसने इसलिए उठाया क्योंकि उसने उसे मीरा को बाँधते देख लिया था।

रघु ने सोचा था कि अंजलि पुलिस को बता देगा, इसलिए उसने उसे कैद कर लिया।

अंजलि की बहादुरी – रहस्य कहानी

घर लौटकर अंजलि ने कई दिनों तक अपने डर से लड़ाई की।

लेकिन उसने हार नहीं मानी।

उसने स्कूल में बच्चियों की सुरक्षा पर एक प्रोजेक्ट बनाया, बच्चों की मदद के लिए एक छोटा “सेफ्टी क्लब” शुरू किया और मीरा की शिक्षा की भी जिम्मेदारी ली।

इंस्पेक्टर अरमान ने शहर में बच्चों के लिए विशेष हेल्पलाइन चालू करवाई।

धीरे-धीरे वह काली हवेली का डर शहर से मिट गया और लोग खुश थे कि एक लड़की की हिम्मत से कई मासूम बच गए।

कहानी का संदेश

कहानी हमें याद दिलाती है कि—

खतरा कभी भी, कहीं भी सामने आ सकता है।

हर लड़की, हर बच्चा सुरक्षा और स्वतंत्रता का हकदार है।

कभी-कभी एक छोटी-सी आवाज़ कई जानें बचा सकती है।

हिम्मत और जागरूकता ही असली ताकत है।

अंजलि की कहानी रहस्य, डर और हिम्मत से भरी जरूर थी—

लेकिन अंत में उम्मीद ही जीती।

 

कहानी के पात्रों की सारणी (पात्र तालिका)

पात्र का नामभूमिका / कामकहानी में महत्व
अंजलिमुख्य नायिका, 17 साल की लड़कीगुमशुदा होकर भी हिम्मत से बच निकलती है और मीरा को बचाती है
सुनीताअंजलि की माँबेटी को खोजने में दृढ़ रहती हैं, भावनात्मक शक्ति देती हैं
इंस्पेक्टर अरमान सिंहपुलिस अधिकारीअंजलि और मीरा को ढँककर अपराधी को पकड़ते हैं
मीरा8-9 साल की बच्चीहवेली में कैद थी, अपराधी की पहचान बताती है
रघुहवेली का केयरटेकर, अपराधीबच्चों को कैद करके ले जाता था, अंजलि का अपहरण करता है
सिपाही दलपुलिस टीमहवेली की तलाशी और बचाव कार्य में मदद

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